पास खडा था भ्रष्टाचार

सुबह उठ कर आँख खुली तो पास खडा था भ्रष्टाचार,   अट्टहास लगाता हुआ, प्रश्न चिह्न लगाता हुआ. जब पूछा मैंने, तुझमें इतने प्राण कहाँ से आये, के तुम बिन पूछे, बिन बताए मेरे घर भी दौड़ आये. हंसता हुआ, वो बोला, तुम शायद अवगत नहीं, कल रात ही संसद में मुझे जीवनदान मिला है. देश शायद सो रहा था, …

धर्मनिरपेक्षता

रूचीनां वैचित्र्य अदृजुकुटिलनानापथजुषां. नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसमर्णाव इव. (शिव महिम्नः स्तोत्र, ७ ) अर्थात हे शिव, जिस प्रकार विभिन्न नदियाँ विभिन्न पर्वतों से निकलकर सरल तथा वक्र गति से प्रवाहित होती हुई अंततः समुद्र में ही मिल जाती है, उसी प्रकार अपनी विभिन्न प्रवृतियों के कारण जिन विभिन्न मार्गों को लोग ग्रहण करते हैं, सरल या वक्र रूप में विभिन्न लगने पर …

कानून की देवी तेरी जय जय कार

कानून की देवी तेरी जय जय कार, छाया जब हर जगह अन्धकार, राजा करता हो जनता पर अत्याचार, ले हाथ में तराजू, जब उठाया तुमने यह बीड़ा, हिल गयी सरकारें, पलट गए ताज. कहती सरकारें, सीमा में नहीं कानून अब, देवी करती सरकार पर अत्याचार, पर पूछती है कलम मेरी इन सरकारों से, क्यों छीना निवाला गरीब का, क्यों फैलाया …

सेठ के चार सेवक और “लोकपाल”

एक कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ, ये मुझे एक परम मित्र ने पिछले दिनों सुनाई थी. एक सेठ था जो हर रोज रात को एक किलोग्राम दूध पीता था. उसने अपने बुढापे के कारण एक सेवक रख लिया. उस सेवक का कार्य केवल रात को दूध गर्म करके सेठ को देना था. उस नौकर ने कुछ ही दिन में गड़बड़ …

सरकार और आम आदमी…

मैं खड़ा हूँ, मेरा अंतर्द्वंद मुझे जीने न दे रहा है, जब सारा भारत खड़ा है तो मैं क्यों सो रहा हूँ? ऐसा सोच आम आदमी एक दिन सारे भारत के साथ धरने पर बैठ गया, सुबह पत्रकारों ने आम आदमी को नेता घोषित किया, दोपहर आम आदमी को भारत का भविष्य घोषित किया, शाम आई और आम आदमी ने …

मेरी जाति “आम आदमी” है

मेरी जाति “आम आदमी” है. सड़क पर फटे हाल एक पुरुष को खड़ा देख,नेता जी रुके, उनसे पूछा, तुम कौन हो भाई, बड़े गरीब और पिछड़े हुए लगते हो, कितने पढ़े लिखे हो, क्या करते हो, परिवार में कौन कौन है, क्या क्या करता है, तुम गरीबी रेखा से नीचे हो? अगर हो तो तुम्हें चावल मिलेगा, तेल मिलेगा घर …

मैं क्यों खड़ा हूँ?

मैं क्यों खड़ा हूँ? भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन में आम आदमी क्यों खड़ा रहा? यह प्रश्न अब आम हो गया है. एक छोटी सी कविता इस बात को लेकर मैंने रची है. समाचारों में देख कर चुन्नी लाल जी एक दिन जा पंहुचे धरने पर, उन्हें देख पड़ोस के नेता जी परेशान, पुछा तुम क्या करोगे चुन्नी लाल? तुम न …

एक आम आदमी का गुनाह!!

एक आम आदमी का गुनाह!! सड़क पर चलते एक आम आदमी को पुलिस ने पकड़ लिया. यह छोटी सी कविता उस आम आदमी और पुलिस की वार्ता का दृष्टान्त है. इसकी रचना मैंने खुद की है. सड़क पर चलते उस आदमी को पुलिस ने पकड़ लिया, उन्हें हवालात में बिठाया गया, तुम क्यों आये पूछा बराबर वाले कैदी ने, जवाब …