हरियाणा सरकार ने बहुत गाजे बाजे के साथ हरियाणा पंचायती राज अधिनियम में सन 2020 में संशोधन किया था। इस संशोधन के बाद भाजपा और हमारी देसी जजपा ने खूब राजनीति की कि सरकार ने महिलाओं और पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की रक्षा करने के लिए यह संशोधन पारित किया है और विपक्ष खासकर कांग्रेस इसका नाजायज विरोध कर रही है। जबकि इसका कोई विरोध नहीं किया गया। अधिनियम बिलकुल बिना विरोध के पारित हुआ। राजनीती का विषय इस बात को बनाया गया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री करण सिंह दलाल के सुपुत्र दीपकरण दलाल ने इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर की, जबकि यह याचिका उनके क्लाइंट्स ने दायर की थी और उन्होंने अधिवक्ता का अपना फर्ज निभाने के लिए केवल उनको रिप्रेजेंट किया। खैर इस विषय पर मैं टेलीविजन पर बहुत सी डिबेट्स कर चुका हूँ। सरकार ने खुद कोर्ट में स्टेटमेंट दी कि हम चुनाव नहीं करवाएंगे। संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ संशोधन पारित किया गया और आरोप कांग्रेस पर जड़ दिया गया। खैर, इस बार जो मुद्दा मैं सार्वजानिक कर रहा हूँ वह यह है कि इस गैरकानूनी संशोधन ने आधे हरियाणा से हमेशा के लिए चेयरमैनी के चुनाव में भाग लेने का अधिकार छीन लिया है।
आखिर क्या है समस्या ?
दरअसल सरकार ने अधिनियम पारित करते हुए महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया और बाकि 50% का प्रावधान महिलाओं के अलावा अन्य के लिए किया गया। इस महिलाओं के अलावा अन्य शब्द की कहीं भी व्याख्या नहीं है इसलिए व्याकरण रूप में पुरुष और किन्नरों को इसमें शामिल करते हैं। ऐसे में प्रॅक्टिकली आधी सीट महिलाओं और आधी सीट पुरुषों के लिए रिजर्व हैं। यही रिजर्वेशन पंचायत समिति वार्डों में, यही रिजर्वेशन जिला परिषद् वार्डों में और यही रिजर्वेशन समिति एवं परिषद् के चेयरमैन के लिए की गयी है। ऐसे में आधे हरियाणा की चेयरमैनी महिलाओं और पुरुषों में बंट गयी है।
अब यहाँ तक सब कुछ साफ़ सुथरा दिखता है, अब बात करते हैं समस्या की। बात ऐसी है कि सीटें रोटेशन में बदलेंगी। यानी जो सीट 2022 में महिलाओं के लिए रिजर्व है वो सीट अगली बार पुरुषों के लिए रिजर्व हो जाएंगी। वही फार्मूला वार्ड से चेयरमैनी में लागू होगा। चेयरमैन बनेंगे वार्ड के मेंबर्स के चुनाव से। अब इस पूरी स्थिति को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं।
मान लीजिये एक जिले में दो सीट जिला परिषद् की हैं जिनका वार्ड नंबर 1 एवं 2 है। इन दोनों सीट में से एक चेयरमैन बनेगा। 2022 में वार्ड नंबर 1 पुरुषों के लिए रिजर्व है और वार्ड नंबर 2 महिलाओं के लिए रिजर्व है एवं इस बार चेयरमैनी महिलाओं के लिए रिजर्व है। इसका मतलब ये हुआ कि इस बार चेयरमैन वार्ड नंबर 2 से बनेगा। देखने में यह स्थिति साफ़ और स्पष्ट टाइप दिखती है। पर चलिए अब हम चलते हैं 2027 में। इस बार रोटेशन में वार्ड नंबर 1 महिलाओं के लिए रिजर्व रहेगा और वार्ड नंबर 2 पुरुषों के लिए और चेयरमैनी पुरुषों के लिए रिजर्व रहेगी। ऐसे में इस बार फिर से चेयरमैनी आएगी वार्ड नंबर 2 में और वार्ड नंबर 1 का अधिकार हमेशा के लिए चला गया है। किसी भी वर्ष में और किसी भी चुनाव में वार्ड नंबर 1 से कभी चेयरमैन बन ही नहीं पायेगा।
ठीक इस ही प्रकार समस्त हरियाणा में यह रिजर्वेशन प्रभाव दिखाएगी, ऐसे में आधा हरियाणा कभी चेयरमैन के चुनाव में कभी भाग ही नहीं ले पायेगा। आसान भाषा में समझिये कि इस बार मुख्यमंत्री करनाल विधानसभा से आते हैं। अगर कोई प्रक्रिया में ऐसा बदलाव किया जाये जो ये कहे कि अगर हरियाणा में मुखयमंत्री बनना है तो करनाल से ही चुनाव लड़ना होगा तो आप उसे क्या कहेंगे ? सुधार या मूर्खता पूर्ण गैरकानूनी बदलाव !
कुछ ऐसा ही हरियाणा की अनपढ़ सरकार ने किया है जिस पर मैंने दो याचिकाएं अपने क्लाइंट्स के लिए डाली हैं, अब देखते हैं कि ऊँट किस करवट बैठेगा।?