सरकार और आम आदमी…

मैं खड़ा हूँ, मेरा अंतर्द्वंद मुझे जीने न दे रहा है, जब सारा भारत खड़ा है तो मैं क्यों सो रहा हूँ? ऐसा सोच आम आदमी एक दिन सारे भारत के साथ धरने पर बैठ गया, सुबह पत्रकारों ने आम आदमी को नेता घोषित किया, दोपहर आम आदमी को भारत का भविष्य घोषित किया, शाम आई और आम आदमी ने …

मेरी जाति “आम आदमी” है

मेरी जाति “आम आदमी” है. सड़क पर फटे हाल एक पुरुष को खड़ा देख,नेता जी रुके, उनसे पूछा, तुम कौन हो भाई, बड़े गरीब और पिछड़े हुए लगते हो, कितने पढ़े लिखे हो, क्या करते हो, परिवार में कौन कौन है, क्या क्या करता है, तुम गरीबी रेखा से नीचे हो? अगर हो तो तुम्हें चावल मिलेगा, तेल मिलेगा घर …

मैं क्यों खड़ा हूँ?

मैं क्यों खड़ा हूँ? भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन में आम आदमी क्यों खड़ा रहा? यह प्रश्न अब आम हो गया है. एक छोटी सी कविता इस बात को लेकर मैंने रची है. समाचारों में देख कर चुन्नी लाल जी एक दिन जा पंहुचे धरने पर, उन्हें देख पड़ोस के नेता जी परेशान, पुछा तुम क्या करोगे चुन्नी लाल? तुम न …

एक आम आदमी का गुनाह!!

एक आम आदमी का गुनाह!! सड़क पर चलते एक आम आदमी को पुलिस ने पकड़ लिया. यह छोटी सी कविता उस आम आदमी और पुलिस की वार्ता का दृष्टान्त है. इसकी रचना मैंने खुद की है. सड़क पर चलते उस आदमी को पुलिस ने पकड़ लिया, उन्हें हवालात में बिठाया गया, तुम क्यों आये पूछा बराबर वाले कैदी ने, जवाब …