भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं. एक देश है, हजारों भाषा, हजारों जाति और अनेक धर्म. उबलता है देश सारा, के भारत नहीं है हमारा. उबलते हैं सभी धर्म, के भारत नहीं है हमारा. एक धर्म है हमारा, जो रखे देश को एक, इस देश के भ्रष्ट लोग न पूछे कोई जाति, बस हाथ फैलाकर करते स्वागत, …