भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं

भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं. एक देश है, हजारों भाषा, हजारों जाति और अनेक धर्म. उबलता है देश सारा, के भारत नहीं है हमारा. उबलते हैं सभी धर्म, के भारत नहीं है हमारा. एक धर्म है हमारा, जो रखे देश को एक, इस देश के भ्रष्ट लोग न पूछे कोई जाति, बस हाथ फैलाकर करते स्वागत, …

तलाश

इक आह सी दिल में उठती है, इक दर्द जिगर में उठता है, हम रात में उठके रोते हैं, जब सारा ज़माना सोता है.   ये मेरा जीवन है, जो जाने मुझ से क्या चाहता है.  दिन होता है तो कुछ और तलाश होती है, रात होती है तो कुछ और तलाश होती है.  जब चलते हैं तो इक मंजिल …