अविराम चलता यह जीवन इक नए मोड़ पर खड़ा है।पूछता है क्या किया जो मुझे कोसते हो कब मैंने तुम्हें हराया; कब तुम्हारा दिल दुखाया कब किस्मत के लेखे को; मैं बदल पाया! मैंने कहा ऐ जीवन; कोसता यूं नहीं मैं के मैंने ठोकर खाई है; कोसता यूं नहीं के मैं आज हारा हुआ हूँ; कोसता यूं हूँ के भाग्य …