मैं तुम्हें कोई दोष नहीं देता सब दोष अपने संग वरता हूँ। जीवन की इस अनकही पहेली पर स्वयम् के प्राण मैं हरता हूँ। मेरे जीवन का उत्तरदायी कौन यह न कोई पूछेगा इस जीवन की अथाह व्यथा को कौन अपने संग वरेगा? चल निकला मैं अब उस सफ़र पर, जिसका न कोई अंत है, जिसकी न कोई परिधि है, …
पास खडा था भ्रष्टाचार
सुबह उठ कर आँख खुली तो पास खडा था भ्रष्टाचार, अट्टहास लगाता हुआ, प्रश्न चिह्न लगाता हुआ. जब पूछा मैंने, तुझमें इतने प्राण कहाँ से आये, के तुम बिन पूछे, बिन बताए मेरे घर भी दौड़ आये. हंसता हुआ, वो बोला, तुम शायद अवगत नहीं, कल रात ही संसद में मुझे जीवनदान मिला है. देश शायद सो रहा था, दिवा …
हाँ मैं चलती हूँ
हाँ मैं चलती हूँ तुमने मुझे चलने से रोका तुमने मुझे जीने से रोका तुमने मुझे गाने से रोका तुमने मुझे खाने से रोका मेरे कदम कदम पर कांटे बिछाये पर मेरे कदम कभी न रुक पाये फिर भी मैं चलती हूँ चलते चलते खिलती हूँ चलते चलते जलती हूँ मगर फिर भी मैं चलती हूँ सोचते तो बहुत होंगे तुम …