मैं क्यों खड़ा हूँ? भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन में आम आदमी क्यों खड़ा रहा? यह प्रश्न अब आम हो गया है. एक छोटी सी कविता इस बात को लेकर मैंने रची है. समाचारों में देख कर चुन्नी लाल जी एक दिन जा पंहुचे धरने पर, उन्हें देख पड़ोस के नेता जी परेशान, पुछा तुम क्या करोगे चुन्नी लाल? तुम न …
एक आम आदमी का गुनाह!!
एक आम आदमी का गुनाह!! सड़क पर चलते एक आम आदमी को पुलिस ने पकड़ लिया. यह छोटी सी कविता उस आम आदमी और पुलिस की वार्ता का दृष्टान्त है. इसकी रचना मैंने खुद की है. सड़क पर चलते उस आदमी को पुलिस ने पकड़ लिया, उन्हें हवालात में बिठाया गया, तुम क्यों आये पूछा बराबर वाले कैदी ने, जवाब …
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