Panchayat Reforms (पंचायत सुधार)

भारत के लोकतंत्र में पंचायत व्यवस्था का बेहद महत्त्वपूर्ण स्थान है. संविधान के 73 वें संशोधन में पंचायत सिस्टम को आधिकारिक रूप से स्तम्भ माना गया था. इसे पंचायत राज का नाम दिया जाता है. मेरा सर्वप्रथम प्रयास पंचायत राज को लागू करवाना है. मेरा मानना है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्र की जनता सबसे पहले पंचायत के साथ जुडती है; उसके बाद कहीं जाकर सरकार आती है. यदि हम पंचायत स्तर पर बड़े सुधार ले आयें तो अवश्य हम भारत में पंचायत राज स्थापित कर सकते हैं. यदि पंचायतों को बल प्रदान किया जा सके तो सरकारों का आधा कार्य वैसे ही पूर्ण हो सकेगा. पंचायतों को ग्रांट दिलवाना, पंचायती स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना और पंचायत को अधिकार सम्पन्न बनाना मेरा स्वप्न है. फिलहाल अधिकारीयों के अधिक दखल एवं भ्रष्टाचार के कारण यह सिस्टम बहुत प्रभावित है. हरियाणा में जब से भाजपा सरकार आई है तबसे पंचायतों को बिलकुल बलहीन बना दिया गया है और पंचायतें अफसरों के हाथ की कठपुतली मात्र बनकर रह गयी है. मैं इस व्यवस्था के विरुद्ध लड़ने के लिए कृतसंकल्प हूँ.

Self Employment (स्वरोजगार)

बेरोजगारी भारत की सबसे बड़ी समस्या है. इससे बड़ी समस्या है कि युवाओं को बचपन से ही सरकारी रोजगार प्राप्त करने के लिए मजबूर और प्रोत्साहित किया जाता है. इससे न केवल भ्रष्टाचार की सम्भावना उत्पन्न होती है; अपितु रोजगार न मिलने के कारण युवा मानसिक दबाव की स्थिति में पंहुच जाता है. स्वरोजगार को बढ़ावा देना और इसके लिए योजनायें बनाना मेरा दूसरा लक्ष्य है. मेरा मानना है कि जब तक रोजगार को ग्रामीण स्तर तक नहीं पंहुचाया जायेगा तब तक बेरोजगारी की समस्या का निदान असंभव है.  हथकरघा उद्योग, मोडर्न खेती, लघु उद्योग स्थापित करने जैसे कार्यों से स्वरोजगार को प्रोत्साहित करना मेरा दूसरा लक्ष्य है.

Women Empowerment

(महिला सशक्तिकरण)

भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति बेहद गंभीर है. महिलाओं के विरुद्ध अपराध हों अथवा रोजगार; दोनों जगह महिलाएं बुरी स्थिति में हैं. महिलाओं को रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराना एवं उनके जीवन स्तर को सामाजिक एवं राजनैतिक पहल से बेहतर बनाना मेरा लक्ष्य है. मैं महिलाओं को देवी न मान उन्हें इंसान मान समुचित मान देने का प्रयास करता हूँ. महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना सर्वप्रथम आवश्यकता है.

Agriculture (कृषि)

भारत की लगभग 70% आबादी कहीं न कहीं कृषि आधारित है. महात्मा गांधी के शब्दों में कहें तो भारत गाँवों में बसता है. आज सबसे बुरी हालत कृषि की है. स्वयम किसान परिवार से सम्बन्ध रखने के कारण इस दर्द को मैं समझता हूँ. कृषि उत्पादों को सही भाव दिलवाना, कृषि उपकरणों को अधिक से अधिक आधुनिक बनाना एवं उनकी सहायता से उन्नत कृषि व्यवस्था कायम करना मेरा सर्वोच्च ध्येय है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आये 10 वर्ष से अधिक हो चुके हैं लेकिन किसी भी राज्य की सरकार ने इसे लागू करने की तरफ कोई भी कदम नहीं उठाया है. स्वामीनाथन रिपोर्ट को सरकार के उच्च स्तरीय पेनल से स्टडी करवा कर उसे नव सिफारिशों के साथ लागू करवाना मेरा वचन है. कृषि के अंदर विविधताएं पैदा करना एवं उसे कम से कम जल पर निर्भर बनाना; जल का संरक्षण करना इस कार्य के सहायक कार्य हैं. मैं फसल बीमा की वर्तमान पालिसी के बिलकुल विरुद्ध हूँ; मेरा मानना है कि फसल बीमा योजना को विशेष किसान आयोग बनाये और इसे परिक्षण के स्तर पर लागू किया जाए; जब तक योजना किसान के पक्ष में न पंहुच जाए तब तक इसे व्यापक स्तर पर लागू न किया जाए.