लाओ त्से लाओ त्से lao

लाओ त्से

लाओ त्से चीन के एक महान दार्शनिक हुए। बिल्कुल अलग और बिलकुल जुदा।

उनकी बुद्धि से प्रभावित हो एक बार उनके राज्य के राजा ने उन्हें कहा कि आप ह्मारे राज्य के न्यायाधीश बन जाइये।

उन्होंने मना किया कि मैं इस लायक नहीं। आप गलत आदमी से संपर्क कर रहे हैं।

पर राजा के जिद करने पर लाओ ने कहा ठीक है मैं एक दिन के लिए राजा बनने के लिए तैयार हूँ। आप एक दिन में ही समझ जायेंगे क्यों मैं आपके समाज के योग्य नहीं।

लाओ के न्यायाधीश बनने के बाद पहला मुकद्दमा आया। एक चोर को पेश किया गया जिसने एक रईस के घर में चोरी की थी। रईस ने आकर कहा कि इसे जेल में डाल दो। लाओ ने सोच समझ कर फैंसला किया कि रईस और चोर दोनों को 6-6 माह की कैद होगी।

रईस फैंसले को सुन बड़े हैरान हुए पर वे राजा को जानते थे। वे राजा के पास गए और कहा देखिये मेरी कोई गलती नहीं है पर फिर भी मुझे सजा सुनाई जा रही है।

राजा ने लाओ को बुलाया और कारण पूछा।

लाओ ने कहा,” मैंने कहा तो था मैं इस लायक नहीं पर आप माने नहीं।”

“पर सजा क्यों दी?” राजा का प्रश्न था।

“महाराज ये अमीर है और इस जैसे अमीरों के दौलत जमा करने के लालच और लूट के कारण ही गरीब लोग चोर बनते हैं। दोनों अपराधी हैं तो दोनों को सजा दी।”

“इस तरह तो मैं भी अपराधी हुआ”; राजा ने सोचा और कहा,” आप ठीक थे लाओ, आप इस लायक नहीं।मैं आपको कार्यमुक्त करता हूँ।”

लाओ हँसते हुए बोले, ” महाराज,ये बुरे लोगों की दुनिया है, इस पर मुझ जैसे लोग शासन नहीं कर सकते। इसके लिए बुरे लोगों की ही जरूरत है।”