केंद्र सरकार का दोहरा रवैया

पूर्व विधायक परमेन्द्र सिंह ढुल ने यहाँ जारी अपने ब्यान में कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट में हुई कार्यवाही से सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया है। आकंठ अहंकार में डूबी सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के द्वारा दी गयी सलाह को भी मानने से मना कर दिया। उन्होंने  कहा कि सरकार अपने कर्मकांड से किसानों में फूट डलवाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि जब किसान संगठनों की तरफ से केवल दो मांगें हैं कि कानूनों के रूप को रद्द किया जाए, न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करने के लिए विधाई प्रावधान किया जाये और उसके बाद ही कृषि कानूनों के नए स्वरुप की चर्चा की जाये तो उसमें सरकार को क्या आपत्ति है यह समझ से बाहर है। आज कोर्ट की टिप्पणी के बाद बिल्कुल स्पष्ट है कि सरकार अपना नैतिक आधार खो चुकी है एवं कॉर्पोरेट्स की सेवा के लिए काम कर रही है। आज की न्यायिक कार्यवाही में एक बात बिल्कुल खुल कर सामने आ गयी है कि कानूनों को बिना किसी सलाह के और बिना  चर्चा के जबरदस्ती जिस प्रकार पास करवाया गया था उस ही जबरदस्ती के साथ इन्हे लागू किया जा रहा है।  एक तरफ सरकार एक नकारात्मक रवैया अख्त्यार कर आठ दौर की चर्चा कर चुकी है तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के नेता किसानों के बारे में अनैतिक टिप्पणियां देने का काम कर रहे हैं ताकि अन्नदाता को बदनाम कर फूट डालो और राज करो की ब्रिटिश नीति पर काम किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार इस आंदोलन को बदनाम करने के लिए हर एक कुत्सित षड्यंत्र रच चुकी है बावजूद इसके आंदोलन को लगातार बढ़ते जनसमर्थन से स्पष्ट है कि किसान आंदोलन की आत्मा नैतिक एवं अहिंसा के मूल्यों को ले कर चल रही है और यह आजादी के बाद का पहला सत्याग्रह है जिसमें सरकार अग्रेजों की दमनकारी हर प्रकार की नीति को लागू करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत प्रभाव से सुप्रीमकोर्ट की सलाह को मान कर कानूनों पर रोक लगाए और अन्नदाता से क्षमा मांगे।