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Donald Trump

डोनाल्ड ट्रम्प बोलने में काफी एग्रेसिव हैं और उनकी भाषा का कभी कोई ठोर ठिकाना नहीं होता। अक्सर अपनी भाषा के लिए उनकी आलोचना की जाती है। जब से कोरोना का कहर समूची दुनिया में बरपा है तब से अमेरिका भी एक बड़ी समस्या में फंस गया है। न केवल अमेरिका इस समय पर इस समय इस बीमारी का एपिक सेंटर बना हुआ है, बल्कि विश्व का सबसे उन्नत देश होने का दावा करने वाला अमेरिका इस समय संसाधनों की कमी से भी गुजर रहा है। अमेरिका के ड्रग कंट्रोलर एफडीए ने कुनीन की गोली को इस बीमारी के इलाज में कारगर बताया है और उसके बाद से ही अमेरिका इस दवाई के स्टॉक में लगा हुआ है। अमेरिका की ही तरह भारत में ICMR ने भी कुनीन को अपने हैल्थ वर्कर्स, डॉक्टर्स और कोरोना के मरीजों के आस पास रहने वालों के लिए प्रिवेंटिव मेडीशियन के रूप में अप्रूव किया है। इसके बाद भारत ने कुनीन के एक्सपोर्ट को बंद कर दिया। यहाँ ज्ञातव्य है कि भारत कुनीन का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बात की और प्रधानमंत्री से रिक्वेस्ट की कि प्रतिबंध में ढील दे कुनीन की कुछ सप्लाई अमेरिका को सुनिश्चित की जाए। इसके ठीक एक दिन बाद यानि 7 अप्रेल को ट्रम्प अमेरिका में एक प्रैस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे और इस दौरान एक रिपोर्टर ने उनसे सवाल पूछा।  ट्रम्प और रिपोर्टर की कन्वर्जेशन निम्नलिखित है : 

‘‘Reporter: Are you worried about retaliation to your decision to ban export of medical Goods like Indian Prime Minister Modi’s decision to not export hydroxychloroquine to the United states or other countries?
Trump: I don’t like that decision if that’s. I didn’t hear that, that was his decision. I know that he stopped it for other countries. I spoke to him yesterday but a very good talk and we will see whether or not that says. I would be surprised if he would, you know because India does very well with the United States. For many years they have been taking advantage of the United States on trade, so i would be suprised of that worse decision. He’d have to tell me that, I spoke to him Sunday morning, called him and I said would appreciate your allowing our supply to come out. If he doesn’t alllow it to come out that would be okay, but of course there may be retaliation why wouldn’t.”

पत्रकार ने सवाल किया, ‘‘आपने चिकित्सा से जुड़े सामानों के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला लिया है। क्या आपको नहीं लगता कि इस फैसले के प्रतिशोध में अन्य देश कदम उठाएंगे, जैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका या किसी अन्य देश को हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन का निर्यात नहीं करने का निर्णय लिया है?’’

ट्रंप का उत्तर है, ‘‘यदि उन्होंने (मोदी ने) ऐसा निर्णय लिया है तो मुझे यह पसंद नहीं। मैंने ऐसा नहीं सुना, यह उनका निर्णय है। मैं जानता हूं कि उन्होंने अन्य देशों के लिये निर्यात (हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन का) रोक दिया है। मैंने कल उनसे बात की, हमारी काफी अच्छी बात हुई। हम देखेंगे कि वह क्या करते हैं। मुझे हैरानी होगी यदि वह अमेरिका को भी निर्यात रोक देते हैं, क्योंकि आपको मालूम है कि भारत और अमेरिका के कई साल के अच्छे संबंध हैं। उन्होंने कई साल से व्यापार में अमेरिका से फायदा उठाया है, इस कारण भी मुझे हैरानी होगी। उन्हें मुझे इसके बारे में बताना चाहिये था, मैंने रविवार की सुबह उनसे बात की, मैंने उन्हें फोन किया था। मैंने कहा कि यदि वे हमें हमारी सप्लाई भेजते हैं तो यह सराहनीय होगा। यदि वे इसकी अनुमति नहीं देते हैं…तब भी ठीक है, निश्चित तौर पर प्रतिशोध में कदम उठाये जाये जा सकते हैं, क्यों नहीं उठाये जायेंगे।’’

सभी लोग अलग अलग तरीके से इस बात को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। मेरे लिए यह भाषा घोर आपत्तिजनक है। इसका उत्तर यह है:

पहला, अमेरिका अपने देश के दिवा निर्माताओं के हितों को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा प्रतिबंध लगा कर रखता है और विदेशी कंपनियों को वहां इजाजत नहीं मिलती है।  कोरोना का कहर भारत के लिए भी उतना ही गंभीर है जितना अमेरिका के लिए। हमारी 140 करोड़ जनसंख्या को भी सुरक्षित रखना सरकार का कर्त्तव्य है।  हमने ठीक वैसे ही प्रतिबंध लगाया है जिस प्रकार अमेरिका ने लगाया है।  अमेरिका ने भारत से रिक्वेस्ट की इसमें कोई दिक्कत नहीं और मानवीय आधार पर सप्लाई को खोला जाना गलत भी नहीं है। लेकिन यह मानवीय आधार पर हो न कि जबरदस्ती।

मुझे यहाँ प्रतिशोध शब्द से गहरी आपत्ति है। रिपोर्टर ने किस भाषा का प्रयोग किया हमें उससे लेना देना नहीं है , लेकिन राष्ट्रअध्यक्ष ने किस भाषा में उत्तर दिया यह मायने रखता है। पहला ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने भारत को कहा कि वो उनकी सप्लाई सुनिश्चित करें।  मुझे याद नहीं आता कोई ऐसा समझौता अब तक हुआ है जिसमें भारत ने अमेरिका को कुनीन की सप्लाई के लिए कहा है तो यह सप्लाई उनकी कैसे हुई ? सप्लाई उनकी तब होती यदि समझौता होता और समझौते के बावजूद भी भारत उसे न भेजता। यह हेकड़ी है और इस हेकड़ी को स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है।

दूसरा 1965 को याद कर रहा हूँ। भारत पाकिस्तान के प्रथम युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत को गेहूं की सप्लाई रोक दी थी। क्या वहां उनका मानवीय आधार खत्म हो गया था ?  तब तात्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा देते हुए भारत में उत्पादन बढ़ाया और सप्ताह में एक दिन व्रत रखने के लिए समस्त भारतीय नागरिकों को कहा गया।  तब जाकर भारत में भुखमरी क़ाबू आई थी।  ऐसे में अमेरिका को कहाँ तक दोस्त माना जाए।

तीसरा स्पष्ट तौर पर ट्रम्प ने पत्रकार की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा है कि यदि भारत ने उन्हें उनकी कथित सप्लाई नहीं दी तो प्रतिशोधात्मक कार्यवाही की जा सकती है। यह भाषा अत्यंत आपत्तिजनक एवं घटिया है और मैं भारत का नागरिक होने के नाते इसका घोर विरोध करता हूँ।

अब ट्रम्प की इस भाषा का समर्थन कोई करे तो करे इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है।  न तो सप्लाई उनकी थी और न ही उस देश को किसी भी प्रकार की प्रतिशोधात्मक कार्यवाही करने का ही कोई हक़ है जबकि उसने मेडिकल उपकरणों के एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है और अमेरिकी रेगुलेटर एफडीए भारतीय कंपनियों को वहां पर जेनेरिक अथवा अन्य दवाइयां बेचने पर लगातार रोक लगाता रहा है ताकि उनके देश की कंपनियों के हित सुरक्षित रहें।

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किसानों की ऋण माफ़ी

फरवरी 2017 में भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में एक चुनावी जनसभा को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर किसानों के कर्ज माफ़ी का वायदा किया था.  उस दिन से अब तक भारत के आठ राज्य कृषि ऋणों की माफ़ी की घोषणा कर चुके हैं. इसमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश आदि प्रमुख हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों पर भी ऋण माफ़ी का लगातार राजनैतिक दबाव बढ़ रहा है. जहाँ हरियाणा के मुख्यमंत्री इस बात से स्पष्ट इनकार कर चुके हैं वहीँ केंद्र सरकार पर चुनावों के सीजन में दबाव बनाया जा रहा है कि केंद्र सरकार किसानों के कर्ज की माफ़ी की कोई आम योजना लेकर आये. हालांकि केंद्र सरकार अभी तक स्पष्ट करती रही है कि किसानों की कर्ज माफ़ी को राज्य सरकारें अपने स्तर पर देखें; केंद्र सरकार इस बारे में कोई योजना नहीं लाने वाली है. हालाँकि देश व प्रदेशों में लगातार किसान अकेले अथवा संगठनों के मार्फत आन्दोलनरत्त हैं; लेकिन किसानों के कर्ज माफ़ी पर विशेषज्ञ एवं अर्थशास्त्री टकराव की स्थिति में दिख रहे हैं वहीँ दूसरी ओर हर राज्य में विपक्ष कर्ज माफ़ी को मुद्दा बता लगातार राजनीती कर रहा है.

क्या होता है किसानों का कर्ज और किसलिए इसकी जरूरत होती है?:

भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर करती है. भारत की जनसंख्या का लगभग 65% हिस्सा कृषि अथवा इसपर आधारित व्यवसायों पर निर्भर है. इतने बड़े पैमाने पर खेती होने के बावजूद भी ज्यादातर किसानों के पास खेती के लिए अधिक जमा पूँजी नहीं है. ऐसे में उन्हें खेती के लिए पूँजी की आवश्यकता रहती है. खेती के लिए बीज, डीजल, खेती उपकरण, कीटनाशक दवाइयां आदि के लिए किसानों को पूँजी की आवश्यकता रहती है. चूंकि भारत में अधिकतर किसान मझौले (2 एकड़ की जोत से कम) अथवा ठेके पर खेती करने वाले हैं; ऐसे में उन्हें खेती के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है. यह पूँजी उन्हें आढ़ती, बैंक, वित्तीय संस्थानों से मिलती है. फसल के न बिकने के कारण, मौसमी मार अथवा फसल खराब होने की स्थिति में किसान अपने ऋण की अदायगी नहीं कर पाता; जिसके कारण किसानो के ऋण की माफ़ी की बात अक्सर उठती रही है.

कर्ज माफ़ी का इतिहास:

1987 में हरियाणा के तात्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल ने किसानों का 10000 रूपये तक का कर्ज माफ़ किया था. एतिहासिक रूप से यह कर्ज माफ़ी की पहली बड़ी योजना थी. तब से आज तक अलग अलग प्रकार से कर्ज की माफ़ी की गयी है ताकि किसानो को फौरी राहत मिल सके. पिछले कुछ वर्षों से किसान संगठनों के द्वारा और राजनैतिक पार्टियों के द्वारा कर्ज माफी की बात ने जोर पकड़ा है; इसका प्रमुख कारण है खेती की लागत में बढ़ोतरी लेकिन फसलों के दामों में ठहराव. ऐसे में किसान ऋण के एक कुचक्र में फंसते जा रहे हैं जिसके कारण बहुत से किसानों को आत्महत्या जैसे बड़े कदम उठाने पड़ते हैं. डेटा के अनुसार 2000 से अब तक तीन लाख से अधिक किसानों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या की है; जिसका सबसे बड़ा कारण किसानों का ऋण माना जा रहा है.

क्या ऋण माफ़ी समाधान है:

वैश्विक मंदी के कारण 2008-09 के बीच भारत में कोर्पोरेट घरानों का लगभग 1 लाख 46 हजार करोड़ का कर्ज माफ़ किया गया था. तब से अब तक लगातार कोर्पोरेट्स के लिए कोई न कोई राहत दी जाती रही है. इसके अलावा बिजली कम्पनियों के कर्ज माफ़ी की केंद्र सरकार की योजना के अंतर्गत हजारों करोड़ की ऋण माफ़ी तो केवल हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में हो चुकी है. ऐसे में किसानों के लिए किसी ऋण माफ़ी योजना का आना तर्क से परे की बात नहीं. कई वर्षों से किसानों की आय लगातार स्थिर रह रही है. कृषि सुधारों को लेकर आज से 12 वर्ष पहले आई स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को भी अभी तक लागू नहीं किया गया है; हालाँकि उसपर राजनीति बहुतेरी हुई है और दावे भी हुए हैं. लेकिन तथ्य यह है कि लागत से डेढ़ गुना मुआवजे की सिफारिश को भी अभी तक पूर्णतया लागू नहीं किया गया है. ऐसे में किसानों को कर्ज के एक अंतहीन सर्कल से निकालने के लिए ऋण माफ़ी की फौरी राहत देना अत्यंत आवश्यक है. हालांकि बहुत से पालिसी ग्रुप इसका अपने अपने तर्कों से विरोध कर रहे हैं लेकिन यह विरोध एक तरफा है क्योंकि वही ग्रुप्स कोर्पोरेट्स के लिए ऋण माफ़ी की वकालत करते दिखाई देते हैं. ऐसे में एक फौरी राहत के रूप में कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए ऋण माफ़ी की आम योजना लाया जाना इस देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है. लेकिन यह समाधान नहीं है; इसे केवल राहत माना जाए तो सही रहेगा. किसानों की मूल समस्या उत्पादन लागत और उनको मिल रहे फसल के मूल्यों में है. स्टोरेज केपेसिटी के अभाव में छोटा किसान फसल को अपने पास रख नहीं पाता और औने पौने दामों में जाकर मंडी में उसे बेचना पड़ता है. हालांकि ट्रेंड देखा गया है कि सरकार द्वारा अधिकतर सीजन में समर्थन मूल्यों को सीजन के अंत में बढाया जाता है लेकिन इसका फायदा केवल बड़े किसानों को एवं आढतियों को मिलता है क्योंकि छोटे किसान तब तक फसल को बेच चुके होते हैं. ऐसे में फसल के सही भाव का निर्धारण और बीच में से बिचालियों को कम करना अथवा समाप्त करना ही सबसे बड़ा समाधान माना जा सकता है. इसके अलावा तेलंगाना की तरह किसानों के लिए एक सुनिश्चित आय का प्रावधान आवश्यक है ताकि किसान भविष्य की चिंता ना कर अपने एवं अपने परिवार के भविष्य को सुनिश्चित कर सके और भारत के आम जन का पेट भर सके. यहाँ यह बात ज्ञातव्य है कि आर्थिक सर्वेक्षण 2016 के अनुसार किसानों की प्रति परिवार मासिक आय लगभग 1700 रुपये है जो कि एक दिहाड़ी के मजदूर से भी कम है. ऐसे में किसानों से पैदावार की अपेक्षा करना और साथ ही साथ उनके भविष्य को अन्धकार में छोड़ देना कम से कम किसी पालिसी का कार्य नहीं हो सकता. एसी कमरों में कोर्पोरेट्स के लिए आर्थिक पॅकेज की वकालत करने वाले एवं किसानो की कर्ज माफ़ी का विरोध करने वाले अर्थशास्त्रियों एवं कथित विशेषज्ञों को चाहिए कि वे जमीन पर उतर भारत की 70% आबादी के जीवन यापन को देखें और उसके बाद योजनायें बनाएं.  

जींद की धरती के दो दुःसाहसी योद्धाओं की अमर-गाथा  जींद की धरती के दो दुःसाहसी योद्धाओं की अमर-गाथा Jind 437x350

जींद की धरती के दो दुःसाहसी योद्धाओं की अमर-गाथा

हमारे जुलाना विधानसभा क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण और सबसे बड़ा गाँव है लजवाना कलां, देखने में आम दिखने वाला यह बड़ा गाँव एक बड़ा इतिहास समाहित कर बैठा है। जब इस इतिहास को खोजने का प्रयास किया तो ह्रदय गौरवान्वित हो उठा। आज इस बड़े और महत्त्वपूर्ण गाँव में सभी जातियों के लोग बसते हैं और इनका भाईचारा एक मिसाल है। इस अमर कथा को मैंने जाटलैंड वेबसाईट और मेरे प्रिय फूल कुमार मलिक की वेबसाईट निडाना हाइट्स से खोज कर निकाला है। यह कथा 1852 की है जब इन अमर योद्धाओं ने जींद, पटियाला और नाभा की रियासतों के खिलाफ जंग लड़ी जिसके बाद पटियाला में दर्दीले गीत बने कि

लजवाने, तेरा नाश जाइयो, तैने बड़े पूत खपाए“.

आइये पढ़ें दलाल खाप के वीरवर दादा नम्बरदार चौधरी भूरा सिंह दलाल और वीरवर दादा नम्बरदार चौधरी निघांईया दलाल के अमर-अमिट-ओजस्वी जौहर की कहानी

जिला रोहतक के पश्चिम में (जहाँ रोहतक की सीमा समाप्त होकर जीन्द की सीमा प्रारम्भ होती है), रोहतक से 25 मील पश्चिम और पटियाला संघ के जीन्द शहर से 15 मील पूर्व में “लजवाना” नाम का प्रसिद्ध गांव है । सौ साल पहले उस गांव में ‘दलाल’ गोत के जाट बसते थे । गांव काफी बड़ा था । गांव की आबादी पांच हजार के लगभग थी । हाट, बाजार से युक्त गाँव धन-धान्य पूर्ण था । गांव में 13 नम्बरदार थे । नम्बरदारों के मुखिया भूरा और तुलसीराम नाम के दो नम्बरदार थे । तुलसीराम नम्बरदार की स्त्री का स्वर्गवास हो चुका था । तुलसी रिश्ते में भूरा का चाचा लगता था । दोनों अलग-अलग कुटुम्बों के चौधरी थे । भूरे की इच्छा के विरुद्ध तुलसी ने भूरे की चाची को लत्ता (करेपा कर लिया) उढ़ा लिया जैसा कि जाटों में रिवाज है । भूरा के इस सम्बंध के विरुद्ध होने से दोनों कुटुम्बों में वैमनस्य रहने लगा ।

समय बीतने पर सारे नम्बरदार सरकारी लगान भरने के लिये जीन्द गये । वहाँ से अगले दिन वापिसी पर रास्ते में बातचीत के समय भोजन की चर्चा चल पड़ी । तुलसी नम्बरदार ने साथी नम्बरदारों से अपनी नई पत्*नी की प्रशंसा करते हुए कहा कि “साग जैसा स्वाद (स्वादिष्ट) म्हारे भूरा की चाची बणावै सै, वैसा और कोई के बणा सकै सै ?” भूरा नम्बरदार इससे चिड़ गया । उस समय तक रेल नहीं निकली थी, सभी नम्बरदार घर पैदल ही जा रहे थे । भूरा नम्बरदार ने अपने सभी साथी पीछे छोड़ दिये और डग बढ़ाकर गांव में आन पहुंचा । आते ही अपने कुटुम्बी जनों से अपने अपमान की बात कह सुनाई । अपमान से आहत हो, चार नौजवानों ने गांव से जीन्द का रास्ता जा घेरा । गांव के नजदीक आने पर सारे नम्बरदार फारिग होने के लिए जंगल में चले गए । तुलसी को हाजत न थी, इसलिए वह घर की तरफ बढ़ चला । रास्ता घेरने वाले नवयुवकों ने गंडासों से तुलसी का काम तमाम कर दिया और उस पर चद्दर उढ़ा गांव में जा घुसे । नित्य कर्म से निवृत्त हो जब बाकी के नम्बरदार गांव की ओर चले तो रास्ते में उन्होंने चद्दर उठाकर देखा तो अपने साथी तुलसीराम नम्बरदार को मृतक पाया । गांव में आकर तुलसी के कत्ल की बात उसके छोटे भाई निघांईया को बताई । निघांईया ने जान लिया कि इस हत्या में भूरा का हाथ है । पर बिना विवाद बढ़ाये उसने शान्तिपूर्वक तुलसी का दाह कर्म किया तथा समय आने पर मन में बदला लेने की ठानी ।

कुछ दिनों बाद रात के तीसरे पहर तुलसीराम के कातिल नौजवानों को निघांईया नम्बरदार (भाई की मृत्यु के बाद निघांईया को नम्बरदार बना दिया गया था) के किसी कुटुम्बीजन ने तालाब के किनारे सोता देख लिया और निघांईया को इसकी सूचना दी । चारों नवयुवक पशु चराकर आये थे और थके मांदे थे । बेफिक्री से सोए थे । बदला लेने का सुअवसर जान निघांईया के कुटुम्बीजनों ने चारों को सोते हुए ही कत्ल कर दिया । प्रातः ही गांव में शोर मच गया और भूरा भी समझ गया कि यह काम निघांईया का है । उसने राजा के पास कोई फरियाद नहीं की क्योंकि जाटों में आज भी यही रिवाज चला आता है कि वे खून का बदला खून से लेते हैं । अदालत में जाना हार समझते हैं । जो पहले राज्य की शरण लेता है वह हारा माना जाता है और फिर दोनों ओर से हत्यायें बन्द हो जाती हैं । इस तरह दोनों कुटुम्बों में आपसी हत्याओं का दौर चल पड़ा ।

उन्हीं दिनों महाराज जीन्द (स्वरूपसिंह जी) की ओर से जमीन की नई बाँट (चकबन्दी) की जा रही थी । उनके तहसीलदारों में एक वैश्य तहसीलदार बड़ा रौबीला था । वह बघरा का रहने वाला था और उससे जीन्द का सारा इलाका थर्राता था । यह कहावत बिल्कुल ठीक है कि –

 

बणिया हाकिम, ब्राह्मण शाह, जाट मुहासिब, जुल्म खुदा ।
 

अर्थात् जहाँ पर वैश्य शासक, ब्राह्मण साहूकार (कर्ज पर पैसे देने वाला) और जाट सलाहकार (मन्त्री आदि) हो वहाँ जुल्म का अन्त नहीं रहता, उस समय तो परमेश्वर ही रक्षक है ।

तहसीलदार साहब को जीन्द के आस-पास के खतरनाक गांव-समूह “कंडेले और उनके खेड़ों” (जिनके विषय में उस प्रदेश में मशहूर है कि “आठ कंडेले, नौ खेड़े, भिरड़ों के छत्ते क्यों छेड़े”) की जमीन के बंटवारे का काम सौंपा गया । तहसीलदार ने जाते ही गाँव के मुखिया नम्बरदारों और ठौळेदारों को बुला कर डांट दी कि “जो अकड़ा, उसे रगड़ा” । सहमे हुए गांव के चौधरियों ने तहसीलदार को ताना दिया कि – ऐसे मर्द हो तो आओ ‘लजवाना’ जहाँ की धरती कटखानी है (अर्थात् मनुष्य को मारकर दम लेती है) । तहसीलदार ने इस ताने (व्यंग) को अपने पौरुष का अपमान समझा और उसने कंडेलों की चकबन्दी रोक, घोड़ी पर सवार हो, “लजवाना” की तरफ कूच किया । लजवाना में पहुंच, चौपाल में चढ़, सब नम्बरदारों और ठौळेदारों को बुला उन्हें धमकाया । अकड़ने पर सबको सिरों से साफे उतारने का हुक्म दिया । नई विपत्ति को सिर पर देख नम्बरदारों और गांव के मुखिया, भूरा व निघांईया ने एक दूसरे को देखा । आंखों ही आंखों में इशारा कर, चौपाल से उतर सीधे मौनी बाबा के मंदिर में जो कि आज भी लजवाना गांव के पूर्व में एक बड़े तालाब के किनारे वृक्षों के बीच में अच्छी अवस्था में मौजूद है, पहुंचे और हाथ में पानी ले आपसी प्रतिशोध को भुला तहसीलदार के मुकाबले के लिए प्रतिज्ञा की । मन्दिर से दोनों हाथ में हाथ डाले भरे बाजार से चौपाल की तरफ चले । दोनों दुश्मनों को एक हुआ तथा हाथ में हाथ डाले जाते देख गांव वालों के मन आशंका से भर उठे और कहा “आज भूरा निघांईया एक हो गये, भलार (भलाई) नहीं है ।” उधर तहसीलदार साहब सब चौधरियों के साफे सिरों से उतरवा उन्हें धमका रहे थे और भूरा तथा निघांईया को फौरन हाजिर करने के लिए जोर दे रहे थे । चौकीदार ने रास्ते में ही सब हाल कहा और तहसीलदार साहब का जल्दी चौपाल में पहुंचने का आदेश भी कह सुनाया । चौपाल में चढ़ते ही निघांईया नम्बरदार ने तहसीलदार साहब को ललकार कर कहा, “हाकिम साहब, साफे मर्दों के बंधे हैं, पेड़ के खुंडों (स्तूनों) पर नहीं, जब जिसका जी चाहा उतार लिया ।” तहसीलदार बाघ की तरह गुर्राया । दोनों ओर से विवाद बढ़ा । आक्रमण, प्रत्याक्रमण में कई जन काम आये । छूट, छुटा करने के लिए कुछ आदमियों को बीच में आया देख भयभीत तहसीलदार प्राण रक्षा के लिए चौपाल से कूद पड़ौस के एक कच्चे घर में जा घुसा । वह घर बालम कालिया जाट का था । भूरा, निघांईया और उनके साथियों ने घर का द्वार जा घेरा । घर को घिरा देख तहसीलदार साहब बुखारी में घुसे । बालम कालिया के पुत्र ने तहसीलदार साहब पर भाले से वार किया, पर उसका वार खाली गया । पुत्र के वार को खाली जाता देख बालम कालिया साँप की तरह फुफकार उठा और पुत्र को लक्ष्य करके कहने लगा–

 

जो जन्मा इस कालरी, मर्द बड़ा हड़खाया ।
 

तेरे तैं यो कारज ना सध, तू बेड़वे का जाया ॥
अर्थात् – जो इस लजवाने की धरती में पैदा होता है, वह मर्द बड़ा मर्दाना होता है । उसका वार कभी खाली नहीं जाता । तुझसे तहसीलदार का अन्त न होगा क्योंकि तेरा जन्म यहां नहीं हुआ, तू बेड़वे में पैदा हुआ था । (बेड़वा लजवाना गांव से दश मील दक्षिण और कस्बा महम से पाँच मील उत्तर में है । अकाल के समय लजवाना के कुछ किसान भागकर बेड़वे आ रहे थे, यहीं पर बालम कालिए के उपरोक्त पुत्र ने जन्म ग्रहण किया था )।

भाई को पिता द्वारा ताना देते देख बालम कालिए की युवति कन्या ने तहसीलदार साहब को पकड़कर बाहर खींचकर बल्लम से मार डाला ।

मातहतों द्वारा जब तहसीलदार के मारे जाने का समाचार महाराजा जीन्द को मिला तो उन्होंने “लजवाना” गाँव को तोड़ने का हुक्म अपने फौज को दिया । उधर भूरा-निघांईया को भी महाराजा द्वारा गाँव तोड़े जाने की खबर मिल चुकी थी । उन्होंने राज-सैन्य से टक्कर लेने के लिए सब प्रबन्ध कर लिये थे । स्*त्री-बच्चों को गांव से बाहर रिश्तेदारियों में भेज दिया गया । बूढ़ों की सलाह से गाँव में मोर्चे-बन्दी कायम की गई । इलाके की पंचायतों को सहायता के लिए चिट्ठी भेज दी गई । वट-वृक्षों के साथ लोहे के कढ़ाये बांध दिये गए जिससे उन कढ़ाओं में बैठकर तोपची अपना बचाव कर सकें और राजा की फौज को नजदीक न आने दें । इलाके के सब गोलन्दाज लजवाने में आ इकट्ठे हुए । महाराजा जीन्द की फौज और भूरा-निघांईया की सरदारी में देहात निवासियों की यह लड़ाई छः महीने चली । ब्रिटिश इलाके के प्रमुख चौधरी दिन में अपने-अपने गांवों में जाते, सरकारी काम-काज से निबटते और रात को लजवाने में आ इकट्ठे होते । अगले दिन होने वाली लड़ाई के लिए सोच विचार कर प्रोग्राम तय करते । गठवालों के चौधरी रोज झोटे में भरकर गोला बारूद भेजते थे । राजा की शिकायत पर अंग्रेजी सरकार ने वह भैंसा पकड़ लिया ।

जब महाराजा जीन्द (सरदार स्वरूपसिंह) किसी भी तरह विद्रोहियों पर काबू न पा सके तो उन्होंने ब्रिटिश फौज को सहायता के लिए बुलाया । ब्रिटिश प्रभुओं का उस समय देश पर ऐसा आतंक छाया हुआ था कि तोपों के गोलों की मार से लजवाना चन्द दिनों में धराशायी कर दिया गया । भूरा-निघांईया भाग कर रोहतक जिले के अपने गोत्र बन्धुओं के गाँव “चिड़ी” में आ छिपे । उनके भाइयों ने उन्हें तीन सौ साठ के चौधरी श्री दादा गिरधर के पास आहूलाणा भेजा । (जिला रोहतक की गोहाना तहसील में गोहाना से तीन मील पश्चिम में गठवाला गौत के जाटों का प्रमुख गांव आहूलाणा है । गठवालों के हरयाणा प्रदेश में 360 गांव हैं । कई पीढ़ियों से इनकी चौधर आहूलाणा में चली आती है । अपने प्रमुख को ये लोग “दादा” की उपाधि से विभूषित करते हैं । इस वंश के प्रमुखों ने कभी कलानौर की नवाबी के विरुद्ध युद्ध जीता था । स्वयं चौधरी गिरधर ने ब्रिटिश इलाके का जेलदार होते हुए भी लजवाने की लड़ाई तथा सन् 1857 के संग्राम में प्रमुख भाग लिया था) ।

जब ब्रिटिश रेजिडेंट का दबाव पड़ा तो डिप्टी कमिश्नर रोहतक ने चौ. गिरधर को मजबूर किया कि वे भूरा-निघांईया को महाराजा जीन्द के समक्ष उपस्थित करें । निदान भूरा-निघांईया को साथ ले सारे इलाके के मुखियों के साथ चौ. गिरधर जीन्द राज्य के प्रसिद्ध गांव कालवा (जहां महाराजा जीन्द कैम्प डाले पड़े थे), पहुंचे तथा राजा से यह वायदा लेकर कि भूरा-निघांईया को माफ कर दिया जावेगा, महाराजा जीन्द ने गिरधर से कहा – मर्द दी जबान, गाड़ी दा पहिया, टुरदा चंगा होवे है”। दोनों को राजा के रूबरू पेश कर दिया गया । माफी मांगने व अच्छे आचरण का विश्वास दिलाने के कारण राजा उन्हें छोड़ना चाहता था, पर ब्रिटिश रेजिडेंट के दबाव के कारण राजा ने दोनों नम्बरदारों (भूरा व निघांईया) को फांसी पर लटका दिया ।

आज बसे हुए हैं सात लजवाने: दोनों नम्बरदारों को 1856 के अन्त में फांसी पर लटकवा कर राजा ने ग्राम निवासियों को ग्राम छोड़ने की आज्ञा दी। लोगों ने लजवाना खाली कर दिया और चारों दिशाओं में छोटे-छोटे गांव बसा लिए जो आज भी “सात लजवाने” के नाम से प्रसिद्ध हैं। मुख्य लजवाना से एक मील उत्तर-पश्चिम में “भूरा” के कुटुम्बियों ने “चुडाली” नामक गांव बसाया। भूरा के बेटे का नाम मेघराज था।

मुख्य लजवाना ग्राम से ठेठ उत्तर में एक मील पर निघांईया नम्बरदार के वंशधरों ने “मेहरड़ा” नामक गांव बसाया।

जिस समय कालवे गांव में भूरा-निघांईया महाराजा जीन्द के सामने हाजिर किये गए थे, तब महाराजा साहब ने दोनों चौधरियों से पूछा था कि “क्या तुम्हें हमारे खिलाफ लड़ने से किसी ने रोका नहीं था?” निघांईया ने उत्तर दिया – मेरे बड़े बेटे ने रोका था। सूरजभान उसका नाम था। राजा ने निघांईया की नम्बरदारी उसके बेटे को सौंप दी। अभी 15 साल पहले निघांईया के पोते दिवाना नम्बरदार ने नम्बरदारी से इस्तीफा दिया है। इसी निघांईया नम्बरदार के छोटे पुत्र की तीसरी पीढ़ी में चौ. हरीराम थे जो रोहतक के दस्युराज ‘दीपा’ द्वारा मारे गए। इन्हीं हरीराम के पुत्र दस्युराज हेमराज उर्फ ‘हेमा’ को (जिसके कारण हरयाणे की जनता को पुलिस अत्याचारों का शिकार होना पड़ा था और जिनकी चर्चा पंजाब विधान सभा, पंजाब विधान परिषद और भारतीय संसद तक में हुई थी), विद्रोहात्मक प्रवृत्तियाँ वंश परम्परा से मिली थीं और वे उनके जीवन के साथ ही समाप्त हुईं।

लजवाने को उजाड़ महाराजा जीन्द (जीन्द शहर) में रहने लगे । पर पंचायत के सामने जो वायदा उन्होंने किया था उसे वे पूरा न कर सके, इसलिए बड़े बेचैन रहने लगे । ज्योतिषियों ने उन्हें बताया कि भूरा-निघांईया के प्रेत आप पर छाये रहते हैं । निदान परेशान महाराजा ने जीन्द छोड़ संगरूर में नई राजधानी जा बसाई । स्वतंत्रता के बाद 1947 में सरदार पटेल ने रियासतें समाप्त कर दीं । महाराजा जीन्द के प्रपौत्र जीन्द शहर से चन्द मील दूर भैंस पालते हैं और दूध की डेरी खोले हुए हैं । समय बड़ा बलवान है । सौ साल पहले जो लड़े थे, उन सभी के वंश नामशेष होने जा रहे हैं । समय ने राव, रंक सब बराबर कर दिये हैं । समय जो न कर दे वही थोड़ा है । समय की महिमा निराली है ।

 

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(This article was written long ago and was first published in April 1986 ) उद्धरण (Excerpts from): “देशभक्तों के बलिदान”

पृष्ठ – 321-325 (द्वितीय संस्करण, 2000 AD)

सम्पादक – स्वामी ओमानन्द सरस्वती (Swami Omanand Saraswati)

(इस लेख के लेखक – श्री कपिलदेव शास्त्री)

प्रकाशक – हरयाणा साहित्य संस्थान, गुरुकुल झज्जर, जिला झज्जर (हरयाणा)

Note:

  • भूरा तथा निघाइया नम्बरदार – लजवाना (हरयाणा) गांव के दलाल गोत्री जाट थे , जिन्होंने राजा जीन्द से 6 महीने तक छापामार युद्ध किया था

Important Reference: Jat History by Thakur Deshraj

आजादी की 72वीं सालगिरह मुबारक

72 वाँ स्वतन्त्रता दिवस

आजाद मानसिकता और गुलाम देश से मुक्ति पा कर गुलाम मानसिकता और आजाद देश की 72 वीं सालगिरह की सबको बधाई. एक देश के रूप में भारत को बने आज 71 साल हो गये हैं. इस बीच हम सुई तक ना बना सकने वाले देश से मिसाइल बनाने वाले देश तक पंहुचे हैं. हम और आगे भी जायेंगे. पर क्या यह वह सहर है जिसके लिये हम चले थे? फैज ने आजादी पर एक बेहद उम्दा ग़ज़ल लिखी थी. उसे यहाँ पर उद्धृत करना अत्यंत आवश्यक है:

यह दाग़-दाग़ उजाला, यह शब गज़ीदा सहर
वो इंतज़ार था जिसका यह वो सहर तो नहीं
यह वो सहर तो नहीं जिसकी आरज़ू लेकर
चले थे यार कि मिल जाएगी कहीं न कहीं

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चले चलो के ये मंजिल अभी नहीं आई

शहीद भगत सिंह ने अपने विचारों में कहा है कि वे देश नहीं अपितु व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के लिए लड़ रहे हैं. जब तक विचारों की आजादी नहीं होगी तब तक सीमाओं की आजादी बेमानी है. राजनैतिक स्वतन्त्रता हमें मिली; हम डोमिनियन स्टेट से आज एक पूर्णतया स्वतंत्र राज्य बन गये हैं. हम किसी राज के अधीन नहीं; हम पांच वर्ष में अपनी स्वयम की सरकार चुनते हैं. हमारे सभी किये गये कार्यों की जिम्मेदारी हमारी है. यह देश हम स्वयम चलाते हैं और इसकी सभी सफलताओं और विफलताओं के लिए हम स्वयम जिम्मेदार हैं. धर्म के आधार पर दो देश बनना; लगभग साढ़े पांच सौ रियासतों ने दो राष्ट्रों के रूप में अपनी पहचान आज से 71 वर्ष पहले पाई थी. राजशाही से लोकतंत्र तक का यह सफर अत्यंत दुष्कर रहा.

70 के दशक में एक अच्छी फीचर फिल्म आई थी जिसका नाम था “हम हिन्दुस्तानी”. सुनील दत्त की इस फिल्म का एक गीत राजनैतिक पार्टियों की जान है. “छोड़ों कल की बातें; कल की बात पुरानी” नामक इस गीत में एक पैरा है जिसमें लिखा है:

“आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं

क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं

चांद के दर पर जा पहुंचा है आज ज़माना

नए जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं

नया खून है नई उमंगें, अब है नई जवानी”

आज यह गीत फिर से याद आया. “जंजीरें” यह शब्द महत्त्वपूर्ण है; जंजीरे कई प्रकार की होती हैं; कुछ जंजीरें सामाजिक होती हैं; कुछ राजनैतिक हो सकती हैं तो कुछ धार्मिक होती हैं. फलां से ब्याह नहीं करना; फलां गलत है; फला सही है यह जंजीरें सामाजिक हैं. फलां व्यक्ति इसलिए गलत है कि वह फलां धर्म को फ़ॉलो करता है यह धार्मिक जंजीरें हैं तो फलां व्यक्ति फलां राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है अतः वह सही है अथवा गलत है तो ये राजनैतिक जंजीरे हैं. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मानते थे कि भारत की स्थिति ऐसी नहीं कि उसे पूर्ण स्वतन्त्रता दी जाए; उसे आंशिक स्वतन्त्रता देकर एक कठोर तानशाह की जरूरत है. यह बात उन्होंने आल इण्डिया रेडियो को एक भाषण में कही थी.

हम एक ऐसे देश के बाशिंदे हैं जहाँ हम नैतिक रूप से अत्यंत बलवान हैं पर हमारी नैतिकता केवल इस बात से खत्म हो जाति है कि हमारे बच्चे किसी अन्य जाति में ब्याहे जाते हैं. हमारी नैतिकता का पैमाना बहुत खतरनाक है; भारत में गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च करने वाली सेलिब्रिटी सन्नी लियोन है पर उसके ऊपर कोई फिल्म बनती है तो हमारी नैतिकता के ऊपर एक बहुत बड़ा कुठाराघात होता है. हम मन्दिर और मस्जिद के नाम पर लड़ भी सकते हैं और मर भी सकते हैं. आधा देश तो केवल इस बात पर कन्फ्यूज है कि वह पहले देश के लिए लड़े अथवा धर्म के लिए या फिर मानवता के लिए लड़े. धर्म को तिलांजली देने वाला यहाँ वामपंथी और यहाँ के सबसे बड़े धर्म हिन्दू धर्म (जिसका नाम किसी भी धर्म ग्रन्थ में नहीं आता है) की आलोचना करने वाला हर एक पुरुष मुल्ला (मुस्लिम धर्म का समर्थक) माना जाता है. हम मस्जिद तोड़ने के नाम पर जानें ले सकते हैं; धर्म के नाम पर देश की सीमाओं का बंटवारा कर सकते हैं. हम इमानदार हैं लेकिन ट्रेफिक चालान के समय पर जान पहचान वाले की सिफारिश ढूंढ सकते हैं. हमें ईमानदार सरकार चाहिए लेकिन अपने बेटे का रोल नम्बर किसी जानकार को अथवा पैसा लेने वाले को देना पसंद करते हैं. हम भ्रष्टाचार को कलंक मानते हैं लेकिन फिर भी नैतिक और आर्थिक रूप से भ्रष्ट हैं. हमें धर्म के नाम पर क़ानून चाहिए; हम आधुनिक संविधान की जगह सड़ी गली शरियत की व्यवस्था को लागू करना चाहते हैं. तिलक, पगड़ी, टोपी हमारी नैतिकता की पहचान है. हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है लेकिन गंगा के अंदर सबसे पहले हम गंदगी डालेंगे फिर उसकी सफाई के नाम पर 75 सौ करोड़ रूपये खा जायेंगे. फिर भी मरने मारने को तैयार हो जायेंगे. हम मानसिक तौर पर कहीं धर्म, कहीं व्यवस्था, कहीं जाति तो कहीं राजनैतिक सोच के गुलाम हैं. स्वतंत्र विचार पर पहले भी हम फांसी पर लटकते थे और आज भी लटकते हैं. गांधी से हमें इसलिए दिक्कत हुई की उसने कथित तौर पर हिन्दू विरोधी कार्य किया तो अन्धविश्वास से मुक्ति दिलाने के लिए कार्य करने वाले आज गोली के शिकार बनते हैं. एक समय था जब प्लूटो को इस बात के लिए मुकद्दमे का सामना करना पडा था कि उसने कहा था कि पृथ्वी गोल है तो आज कुछ वैज्ञानिक रूप से विरोधाभासों का विरोध करने पर हत्या हो जाती है. हम आज भी यह नहीं समझ पाए हैं कि हमें तवज्जो किसे देनी चाहिए राष्ट्रवाद को; धर्म को अथवा मानवता को? हम राष्ट्रवाद की सही और सच्ची भावना से भी मरहूम है. समस्त राष्ट्र के नागरिको का सम्मान और उनकी रक्षा ही तो राष्ट्रवाद है. पर क्या यह भावना हम ला पाए हैं? सेलेक्टिव राष्ट्रवाद को उठा गर्व महसूस करने वाले ग्रुप्स बाकियों को देशद्रोही अथवा पाकिस्तानी बताने में भी गुरेज नहीं करते. इस देश के सम्मान के लिए दिन रात जद्दोजहद करने वाले लोगों को भी सेलेक्टिव राष्ट्रवाद में देशद्रोही बता दिया जाता है. स्वयम को पढ़े लिखे बताने वाले लोग आज भी दूसरी जाति अथवा धर्म में शादी तक करने पर मरने और मारने पर उतारू हो जाते हैं. सालों साल से चले आ रहे इस कार्य के बीच हम सच में आगे भी बढ़े हैं. हम सोफ्टवेयर में वर्ल्ड लीडर हैं; हम एक बहुत बड़ा अंतर्राष्ट्रीय बाजार हैं; हम चाँद तक लगभग पंहुच ही गये हैं; हम परमाणू देश हैं; पूर्णतया साधन सम्पन्न हमारी सेना विश्व की चुनिन्दा मजबूत सेनाओं में से एक है. हमारे आइआइटी और आईआईएम विश्व में धाक रखते हैं. सीमित संसाधनों के बावजूद भी हम अनाज के मामले में पूर्णतया स्वनिर्भर हैं. लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकि है. मंजिल अभी बहुत दूर है. मैं धर्म/मजहब आदि का घोर विरोधी हूँ लेकिन हमेशा सोचता हूँ कि गर सभी इन सीमाओं को तोड़ एक साथ रहें तो यह देश सच में बहुत खूबसूरत है. हम शायद आने वाले खतरों को देख और समझ नहीं पा रहे हैं. यह विश्व आतंकवाद से प्रताड़ित हो धीरे धीरे तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ रहा है. हमारे संसाधन धीरे धीरे कम हो रहे हैं. प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता कम हो रही है; अन्नदाता अपने सीमित संसाधनों के कारण धीरे धीरे कमजोर हो रहा है. जंग सीमित संसाधनों और विकास की हो; अदम गोंडवी साहब ने दो ही पंक्तियों में सार व्यक्त किया है:

छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये

हम सब मिल जुल कर रहें; मेहनत करें; स्वयम को और इस देश को आगे ले जाएँ; शिक्षा की श्रेणी में हमारा देश अग्रणी बने; हमारी सोच वैज्ञानिक हो; हम समाज के सही रूप को समझें; हम किताबी नहीं अपितु मानसिक तौर पर इमानदार हों; मेरी आज यही तमन्ना है.

जय हिन्द

वन्दे मातरम

Full text of Kathua Gang Rape Case Chargesheet

Here is full text of Kathua Gangrape case Chargesheet as taken from Firstpost with thanks:

Brief facts of the case are that on 12.01.2018 one Mohd. Yousuf S/o Sahib Din (caste-Bakarwal) R/O Rasana, Tehsil Hiranagar, District Kathua lodged a complaint in P/S Hiranagar to the effect that his daughter namely Miss Asifa, Aged 8 years, had gone for grazing horses in the nearby forest at about 1230 hrs and she was seen with the horses at about 1400 hrs on 10.01.2018. On the same day horses returned back in the dhera at about 1600 hrs but Asifa did not return back. On this the complainant along with others started search in the forest area but Asifa could not be traced out. He further alleged that he had a suspicion that some miscreants might have kidnapped his daughter. On this report case FIR No 10/2018 U/S 363 RPC was registered in PS Hiranagar and investigation was taken up.

In the course of investigation the investigating officer made efforts to trace out the missing girl with the help of VDC members and respectable of the area but did not get any clue about the victim. Subsequently, on 17.01.2018 dead body of Asifa was recovered on the basis of information provided by one Jagdish Raj S/o Desu R/o Dugaan Bani who had been same while in search of his missing horses in the nearby forest. The body of the deceased was taken into custody for conducting autopsy. The postmortem of the deceased was conducted by a team of doctors at District Hospital Kathua on the same day at 1430 hrs. During investigation conducted by P/S Hiranagar one individual namely Shubam Sangra S/O Om Prakash R/O Hiranagar, Ward No. 10, A/P Rasana, residing with his maternal uncle Sanji Ram in village Rasana, was taken to police station Hiranagar for questioning. During questioning he divulged that his father is working as a peon in Hr. Sec. School Chagral and his mother is a housewife.

He further divulged that he used to take alcohol, cigarettes, gutka and other intoxicants and had been expelled from Modern Public School Sikdi Hiranagar, because of his unruly behavior with girls of his school. Fed up with his conduct the family shifted him to the house of his maternal uncle, some three months back, where he used to take care of their cattle by getting leaves, etc from the nearby forests. In the forests he had met a girl of Bakarwal community 7/8 times and most of the times she used to enquire about the whereabouts of her horses which she usually would take to the forest for grazing. On 10-01-2018, the same Bakarwal girl met him in the forest area near a Bahari Balish tree and he asked her to accompany him on the assurance that he would help her in tracing out her missing horses. Around 1830 hrs he took her to a shed of his maternal uncle meant for keeping the cattle where he gagged her with a handkerchief and also tied her hands with a rope which was already lying in the shed.

He further divulged that he took out the drawstring (Nara) from her trouser and tied up her legs with the same. Thereafter, he locked the door of the shed and proceeded to his home. After an hour he took some meals for her secretly and on reaching the shed un-gagged her and made her to eat the food that he had brought for her. Next he again gagged her with the same handkerchief, locked the shed again and went home. He continued doing the same till 16-01-2018. On 16-01-2018 at about 6:30 PM he reached the shed in question and untied the girl. Thereafter, he knotted her trouser with a rope and told her that he will drop her home. He took her through the same route, wherefrom, he had brought her to the shed and on way he unknotted her trouser and attempted to rape her. The said girl reacted by saying that she will narrate the whole incident to her family members. Apprehending that Bakarwals residing in the area will kill him he strangulated her with a chunni that was worn by her. Blood mixed spitting oozed from her mouth and thereafter he took her in his lap to another place and threw her on the ground where he hit her head twice with a stone.

Representational image. AFP  Full text of Kathua Gang Rape Case Chargesheet Jammu and Kashmir police 380 AFP1

REPRESENTATIONAL IMAGE. AFP

Subsequently he waited for about 10 minutes and then left for home. On the next day he took the drawstring of her trouser and the handkerchief to the cowshed and burnt them. As per the investigations conducted by P/S Hiranagar, JCL further revealed that he used to take the victim to nearby fields for attending nature’s call, discreetly, in late hours and used to wash her private parts with his hands using water from the hand pump. He also stated that he used to give her toffees of the Milky Way brand. He further divulged that during the captivity of said girl he did not make any attempt to rape her. Accordingly said JCL S/o Om Prakash Sangra R/o Ward No.10 Hiranagar was arrested in the above said case on 19.01.2018 by the Police Station Hiranagar. On the basis of the confessional statement of the accused a stone, weighing around 1 kg, used by him to hit the deceased girl was recovered and seized. He was subsequently produced before the Ld. Chief Judicial Magistrate Kathua who ordered him to be sent to juvenile home.

Subsequently, in pursuance to PHQ Order No 374 of 2018 Dated 22-01-2018, the investigation of above referred case was transferred to Crime Branch and Crime Headquarters J&K vide Order issued under endorsement No CHQ/FIR/10/18-Hiranagar1083-92 Dated 23-01-2018, constituted a team of officers/officials headed by Shri Naveed Peerzada, ASP Crime Branch, Kashmir for carrying out further investigation of the case. However, the case dairy file was formally handed over to Crime Branch Jammu by Shri Adil Hamid Ganai, ASP Samba, Incharge of earlier SIT constituted by IGP Jammu Zone on 27-10-2018 at 19.00 hrs in person at Crime Branch, Jammu.

In the course of investigation conducted by the Crime Branch the Ld. CJM was requested to handover the custody of Shubam Sangra for questioning. The examination of the juvenile was carried out in the presence of a social worker and his father. On the basis of the inputs provided by the Juvenile and other accused who were arrested and questioned in custody and the evidence collected in the course of investigation it transpired that somewhere in the first week of January, accused Sanji Ram decided to put a plan to dislodge the Bakarwal Community from Rasana area, which had been brewing in his mind for quite some time, into operation and in pursuance to that he made accused Deepak Khajuria, an SPO in Police Department and JCL as part of conspiracy and assigned them tasks separately and individually.

In furtherance of said conspiracy accused Deepak along with his friend Vikram went to Bitu Medical shop at Kottah Morh on 07th of January 2018 evening and purchased one strip of Epitril 0.5 mg containing 10 tablets by showing the prescription of his (Mamu) maternal uncle namely Kamal who had a psychiatric problem and is under treatment with Dr. Mukul at Kathua. Although the medicine as per the prescription was not available with Bitu he gave him Epitril 0.05 mg instead of the medicine written on the prescription.On4th January, 2018 accused Sanji Ram Maternal uncle of JCL provoked and induced said JCL to take revenge from the Bakarwals who had earlier beaten him.

On 7th of January, 2018 Sanji Ram told JCL to kidnap the Bakarwal girl namely Asifa D/o Yousaf Bakarwal who often comes to the forests behind the house of accused Sanji Ram for grazing her horses. Investigation further revealed that on 8th of January, 2018 while JCL was busy working in the field another accused namely Deepak Khajuria called him near tube well and offered him cigarettes. Said Deepak lured him to kidnap Yousuf’s daughter on the assurance that he would help him in passing the board exams (through cheating). Subsequently, JCL shared the entire plan worked out by Sanji Ram and Deepak Khajuria with Parvesh Kumar @Mannu, his close friend and asked for his help and assistance in executing the plan on ground. The investigation further revealed that accused Sanji Ram had directed the JCL to execute the plan of kidnapping and to give some intoxicant to the girl and thereafter confine her at Devisthan in the first instance. On 9th of January, 2018, JCL along with another accused Parvesh Kumar @Mannu went to Hiranagar and purchased 04 Manars from Rampal’s shop, situated near auto stand Hiranagar, out of which one was consumed by him and kept other 3 in his pocket and returned back to Rasana.

On 10th January, 2018 thes aid JCL heard the voice of the girl who was enquiring from one Veena Devi about her horses when he was on the roof of his Mamu (accused Sanji Ram’s) house. He immediately rushed down stairs, took 03 Manars and keys of Devisthan and told Asifa that he had seen her horses. He led her to jungle and also called accused Mannu who was already waiting for his signal. Sensing some trouble the victim tried to flee away.The JDstopped her by catching hold of her neck and covered her mouth with one of his hands and pushed her and she fell on the ground.Accused Mannu held her legs and the JCLadministered Manars’ one by one forcibly to the victim. The victim fell unconscious and was rapedby JCL. Thereafter, Mannu also attempted to rape her but could notdo it. Later on,they took the girl and kept her inside Devisthan under the table over two Chatayees(plastic Mats) and then covered her with two Darees (cotton thread Mats).

Thereafter, both JCL and accused Mannu left Devisthanafter locking it.On the next day, parents of Asifa reached Devisthan and enquired from accused Sanji Ram about the whereabouts of her missing daughter and in reply the accused Sanji Ram told her that she will be back as she might have gone to some relative’s house.At 12:00 noon the accused Deepak Khajuria @Deepu came near the house of accused Sanji Ram and signaled JCL, who took keys of Devisthan and both of them left for Devisthan as per the plan. Both of them reached Devisthan, opened the lock and accused Deepak Khajuria @ Deepu directed JCLto fetch water from a tap outside Devisthan.

Thereafter,accused Deepak Khajuria @ Deepu took out a strip of sedatives containing ten (10) tablets. While the JCLlifted the head of the girl the accused Deepak Khajuria @ Deepu opened her mouth, put two tablets out of the strip in her mouth and made her to drink water and rubbed her throat with his fingers. Then accused Deepak Khajuria @ Deepu left from Devisthan and the JCL locked the door and hid the strip under a heapof dry grass,nearby. In the evening at about 5.00 p.m. theJCLwent to Devisthan for lighting Jyotand checked the girl againand found her unconscious.Thereafter, on 11th JanuaryJCLinformed another accused Vishal Jangotra @ Shamma about the kidnapping of the girl telephonically and asked him to return from Meerat in case he wanted to satisfy his lust.

On 12th of January,2018 accused Vishal Jangotra @ Shamma reached Rasana from Meerut at 06:00 a.m. JCLnarrated full details to Vishal about kidnapping and confinement of the girl inDevisthan. At about 8:30 a.m. the JCLagain went to Devisthan and administered 3 sedative tablets to the girl while she was unconscious with empty stomach.On the same day the Police party alongwith Bakarwals started search of the missing girl and accused Deepak Khajuria @ Deepu came to the house of accused Sanji Ramwith another police official namely Iftikar Wani. The accused Deepak Khajuria @ Deepuasked for water and at the same time advised the juvenile to ensure administering of sedatives to the victim in time. During investigation it transpired that accused Sanji Ram had already taken the accused police officials into confidence and settled the deal with them to take care of the things which would ensue in the process of culmination of the conspired plan. In pursuance of the settled deal accused HC Tilak Raj, who was also accompanying the search party, took accused Sanji Ram to cow shed and reiterated that necessary payments have to be made to the investigating officer of the case i.e. accused SI Anand Dutta in order to save him and other accused from the clutches of law with respect to kidnapping and also not to conduct further searches.

During investigation it has been found that on 12th of January JD Shuboo’s mother, Tripta Devi, reached accused Sanji Ram’s residence at Rasana. It has been found that the accused Sanji Ram narrated JCL’s involvement in kidnapping and confinement of the girl to the JCL’s mother. Further that accused Sanji Ram gave his sister (i.e. JCL’s mother) a packet containing Rs. 1.5 lacs with the direction to hand over the same to accused HC Tilak Raj as accused Sanji Ram had to attend some work. It has been found during investigation that JCL’s mother was a close friend of accused HC Tilk Raj as both were classmates in Govt. Primary School at Damiyal. The money was subsequently handed over to accuse Tilak Raj by Tripta Devi.

During the course of investigation it has been found that at about 8:30 a.m. on 13th January 2018 JCL, accused Vishal Jangotra @ Shamma and accused Sanji Ram left for Devisthan, where JCL and Sanji Ram performed rituals. In the meantime, accused Mannu also reached Devisthan. The accused Sanji Ram left Devisthan from back gate for performing some rituals and met Deepu who was waiting for him. The accused Vishal Jangotra @ Shamma raped Asifa .Thereafter, JCL also raped the girl in presence of the accused Mannu. The investigation also revealed that after committing the rape, JCL directed accused Vishal Jangotra @ Shamma and accused Mannu to leave Devisthan. JCL again took out 03 tablets out of the strip which he had kept under a heap of garbage near an electric pole outside the Devisthan and gave the same to the girl and again covered her with mats and dropped the utensil container in front of her in order to hide her. The remaining two tablets were hidden by the juvenile delinquent under a heap of garbage near electric pole.

During investigation the said strip containing two tablets was recovered from near the Devisthan on the disclosure and at the instance of JCL. During investigation it has been found that after distributing Lohri to relatives in the evening JCL informed accused Sanji Ram that he and accused Vishal Jangotra had committed gang rape with Asifa inside Devisthan. Accused Sanji Ram directed JCL that the time was ripe to kill the girl so as to achieve the ultimate goal of criminal conspiracy hatched among the accused. On the direction of accused Sanji Ram at Devisthan the accused Mannu, Vishal and JCL removed the Victim from Devisthan and took her to a nearby culvert situated in front of Devisthan. In the meantime accused Deepak also reached there. On the spot accused Deepak Khajuria @ Deepu told JCL to wait as he wanted to rape the girl before she is killed.

As such once again the little girl Asifa was gang raped firstly by accused Deepak Khajuria @ Deepu and then by JCL. After committing the barbaric act of rape on minor victim the accused Deepak Khajuria @ Deepu kept her neck on his left thigh and started applying force with his hands on her neck in order to kill her. As accused Deepak Khajuria @ Deepu was unsuccessful in killing her another accused JCL killed her by pressing his knees against her back and strangulated the girl by applying force on both the ends of her Chunni. Thereafter, accused JCL, in order to make sure that the victim is dead, hit her twice on head with stone. As per the conspired plan the dead body was to be transported and disposed off in the Cannal at Hiranagar, however, as the vehicle could not be arranged in time, the accused on spot decided to dump the body at Devisthan being the safe place till its disposal and accordingly the four accused namely JCL, Vishal, Deepak and Mannu lifted the body and dumped it in Devisthan while Sanji Ram was keeping watch outside Devisthan. Thereafter, all the accused left for their homes. The investigation conducted further revealed that on 15th January 2018 accused Sanji Ram told JCL and his son accused Vishal Jangotra @ Shamma that Kishore had refused to bring the car hence they cannot throw the dead body in the Cannal and accordingly directed them to throw the dead body in the jungle as it was not safe to keep it inside Devisthan anymore as the people were likely to visit Devisthan on the following day for Fanda which was to be performed by accused Sanji Ram himself.

During investigation it came to light that JCL went to Mannu’s house and found that he was not present at home. Accordingly, JCL and accused Vishal Jangotra @ Shamma decided to execute the plan without Mannu. As per plan JCL along with accused Vishal Jangotra @Shamma went to Devisthan. Accused Vishal Jangotra @Shamma opened the door while JCL lifted the dead body on his shoulder. The accused Vishal Jangotra @Shamma locked the door and JCL disposed of the dead body by throwing it inside the jungle while accused Vishal Jangotra @Shamma was guarding outside bushes. After throwing the body JCL and accused Vishal Jangotra @Shamma returned home. At around 4.00 pm JD Shuboo went to Samadiya near the court Hiranagar where other village boys were playing and met his friend, namely Amit Sharma S/o Narayan Shanker R/o W. No 10 Hiranagar, and informed him about the murder of victim. A fact corroborated by friends of Amit. Thereafter, JCL accompanied accused Vishal to Ghagwal railway station wherefrom accused Vishal left for Meerut. Pertinently, another installment of Rs 1.5 lakhs was given to accuse Tilak Raj by accused Sanji Ram at his residence for SI Anand Dutta.

Investigations revealed that next day on 17th January 2018 dead body of Asifa was recovered on the basis of information provided by one Jagdish Raj S/o Desu R/o Dugaan Bani who had seen the same while in search of his missing sheep in the nearby forest. The body of the deceased was taken into custody by police for conducting autopsy. The postmortem of the deceased was conducted by a team of doctors at District Hospital Kathua on the same day at 1430 hrs. Investigation revealed that in the evening accused HC Tilak Raj, who was in knowledge of entire game plan, met accused Sanji Ram at home where he requested the accused Sanji Ram to handover one of the accused as things have gone beyond their control due to massive agitation by Bakarwals. Instead of handing over any accused to him accused Sanji Ram paid an amount of Rs 1.00 lakhs to accused SI Anand Dutta through said Tilak Raj which Tilak Raj readily accepted. Investigations also revealed that on the following day JCL was apprehended and taken to Police Station for questioning.

The accused Sanji Ram visited JCLin P/S Hiranagar and directed him not to disclose the involvement of his son accused Vishal Jangotra @ Shamma and promised him that he will get him cleared from the charges at the earliest. It has been found that accused SI Dutta in order to pave way for clearing JCL of the charges directed him to implicate one Gadee, who had also been lifted by police for questioning, in the killing case of the girl Asifa. Instead of implicating the Gadee, JCL admitted the charges of kidnapping and murder of the victim before SSP Kathua. During investigation it has been found that accused SI Dutta again warned JCL and asked him to stick to the tutored version given by him and to take the entire blame on to himself.

During investigation it transpired that on 19th January, 2018, the accused SI Dutta along with his PSO’s took JCL to the jungle where from the dead body had been recovered and accused SI Dutta told JCL to hold a stone in his hand and took his photograph. He also prepared a Disclosure Memo showing the Stone to have been recovered on the disclosure of JCL. Thereafter, he took the Juvenile to a cow shed and again took his photographs in the dry grass shed and Machine room respectively. Then accused SI Dutta took JCL’s photograph near the ashes of wood. This all was being done by the accused SI Dutta in order to attach an element of truthfulness to his concocted story and in the process to create false evidence so that other accused could be screened from the grave criminal charges for which he had received Rs 4.00 lacs out of the settled amount of Rs 5.00 lacs from accused Sanji Ram. During investigation it surfaced that accused Sanji Ram had kept a good amount of cash available with him well in advance.

However, investigations regarding the complete financial trail are underway. During investigation conducted by Crime Branch it has been established on the basis of oral, scientific as well as documentary evidence that the victim was neither kept in captivity at Cow shed nor had she been killed on the spot from where her dead body was recovered thus rendering the entire story created by accused SI Dutta as farce and far from truth. The investigation has established, on the strength of evidence both oral as well as scientific, that the accused SI Dutta and Tilak Raj have in furtherance of Criminal Conspiracy hatched between themselves and the principal accused Sanji Ram washed the clothes worn by the deceased at the time of her death with the intention to remove the clay and blood stains/sperms etc and thereafter forwarded the same to FSL for expert opinion. This apart the accused SI Dutta deliberately did not conduct the search of Devisthan for tracing out the missing girl. The said accused has not even searched the premises and other suspected installation/houses in the vicinity where from the innocent girl had gone missing and was lastly seen by the witness namely Veena Devi.

Moreover during the course of investigation of such a sensational case the said accused as an I.O has remained very casual and has left serious criminal lapses deliberately in order to give undue benefit or to expunge the accused involved in the case. The accused while investigating the case has deliberately not seized Dupatta, hairband and neckless of the deceased girl as well as clothes of the juvenile after his confession which is evident from the seizure memos prepared by the accused during the course of investigation. The Chunni used for strangulating the victim has been seized later on by SIT CBJ from P/S Hiranagar along with Hair band. These vital pieces of evidence were deliberately left out by the said accused to confer undue benefit to the accused. The necklace worn by the victim (as seen in the photographs of victim) was also not seized and has been destroyed as the same could not be traced and accused was unable to justify that as to why these items were not seized as a piece of evidences in this case. Similarly the accused SI Anand Dutta has not even collected the blood sample of victims from the board of doctors who conducted autopsy of victim at District Hospital Kathua. Keeping in view of the facts, circumstances, call details confessional statements, statements of official of P/S Hiranagar, FSL report and other evidences, the involvement of accused SI Dutta and HC Tilak Raj was found involved in commission of offence punishable u/s 201/RPC, r/w 343,376-D,302,120-B/RPC.

In the course of investigation, it transpired that Sanji Ram S/o Des Raj R/o Rasana was against the settlement of Bakarwals in Rasana Kootah, and Dhamyal area, and always kept on motivating the members of his community of the area not to provide land for grazing or any other kind of assistance. One Harnam Singh s/o Darbara Singh R/o Kootah had sold land to one Bakarwal and he (Sanji Ram) had started acampaign against said Harnam Singh.He also utilized the services of ex- Sarpanch of Kootah and Rasana area against said Harnam Singh and managed to stop the payment on account of installation of telephone towers in his land through the concerned tehsildar on the plea that the land in question was a state land. Ultimately, said Harnam Singh approached the Hon’ble High court and got the impugned order of Tehsildar quashed.

He had also seized goats of one Rashid D/o Chandia Bakerwal in the month of December, 2017 for watering his cattle at a pond near his house and Rs. 1000/- was taken from him as fine for releasing the goats. Apart from this he had also charged Rs. 1000/- as fine from Mohd. Yousaf Bakarwal for grazing his cattle inthe forest pasture situated near his house. HC Tilak and SPO Deepak Khajuria were also against the settlement of Bakarwals in Rasana, Kootah and Dhamyal area who had already discussed this issue with Sanji Ram to Chalk out a strategyfor dislodging the Bakarwals from the area. They were blaming the Bakarwals on one pretext or the other and used to threaten them. Accused Tilak Raj and Deepak Khajuria also had some serious issues with Bakarwals over the land occupation and crop damage being residents of the same area. Besides, accused Deepak Khajuria had already had few scuffles with Bakarwals. This apart during investigation it transpired that a particular community had a general impression that the Bakarwals indulge in cow slaughter and drug trafficking and that their children were turning into drug addicts.

This rivalry between the two communities in the area has already resulted into registration of various FIRs and counter FIRs at different adjoining police stations of the area between the two communities. Thus during investigation it has become abundantly clear that the accused had a reason to act against the Bakarwal Community and hence the conspiracy ultimately resulting into the gruesome rape and brutal murder of an innocent budding flower, a child of only 8 years of age, who being a small kid became a soft target.

In the course of investigation statements of more than 130 witnesses were recorded under section 161and 164- A CrPC. All the witnesses examined have unequivocally corroborated the facts that emerged in the course of investigation as detailed out hereinbefore. The statements of all these witnesses form part the Challan.

In the course of investigation, the potency test of the JCL, Vishal Jangotra and Pravesh Kumar was conducted and the report obtained has been found positive. The report makes it clear that the accused including Juvenile are capable of performing sexual intercourse. In respect of accused Deepak Khajuria the experts have sought his reexamination for the potency test which shall be done after seeking permission from the court.

In the course of investigation the SIT members along-with FSL experts and Naib Tehsildar, Executive Magistrate 1st class Kootah again visited the scene of occurrence and tried to reconstruct the Scene of Crime. The minute examination of these locations led to the recovery of various items including blood stained wooden sticks and hair strand, which were seized, packed and sealed/resealed by Executive Magistrate 1st Class. The sealed packets containing the exhibits collected in the course of investigation were sent to FSL for analysis and report. Besides, few hair strands recovered from Devisthan and nearby forest where the dead body was dumped by the accused were forwarded to the experts in New Delhi for DNA profiling. On the basis of opinion furnished by the experts’ one of the hair stands recovered from the Devisthan matched with the DNA profile of Victim Asifa which confirmed that the victim was kept in captivity at Devisthan which is exclusively manned by accused Sanji Ram to the exclusion of any other person of the area.

Similarly as per the expert opinion in respect of hair strand recovered from place of recovery of dead body, it matched with the DNA profile of JCL. Notwithstanding the fact that accused police officials SI Datta and Tilak Raj had made all efforts to destroy the evidence by washing the clothes worn by the deceased and FSL Srinagar could not frame any opinion on the basis of examination of the washed clothes but to the ill luck of accused the FSL Delhi with updated technology was able to confirm the presence of blood stains on the Frock-Shalwar of the victim which matched with the DNA profile of the victim. DNA profiling also established presence of victim’s blood on the vaginal smears. During investigation the opinion on various exhibits referred to FSL has been obtained. Besides, post mortem report of dead body was also obtained. On the strength of opinion furnished by the experts it has been confirmed that hymen of the deceased was not found intact and lacerations on vulva of the vagina were also observed, besides blood stained discharge was found inside vagina of the deceased.

As per the report of medical experts the victim was found prima-facie raped before being killed. Furthermore, investigations in this regard have established that the victim was raped by more than one accused with common intention. Accordingly, section 376-D RPC was added in the case. The Medical opinion also established the fact that the victim had been kept without food and administered sedatives and her cause of death was Asphyxia leading to cardio-pulmonary arrest. The expert opinions and Post Mortem report forms part of challan.

During investigation call details of mobile phones used by the accused persons were obtained from concerned quarters. The CDRs obtained have prima facie established the individual and common locations of all the accused in and around the scene of crime on crucial dates of occurrence. The analysis of CDRs of accused Deepak Khajuria revealed that he had remained in constant touch with one Surinder Kumar, who two is posted as SPO along with accused Deepak Kumar in Police Station Hiranagar from the date of kidnapping of the victim. This necessitated the questioning of said Surinder Kumar who was summoned and questioned but he could not give any plausible and tangible explanation regarding his telephonic conversation with accused Deepak Khajuria and a sudden spike in their frequency despite of the fact that accused Deepak Khajuria had disclosed that he had send Surinder Kumar to ascertain the movement of Bakarwals in and around Devisthan on 14-01-2018 and also to inform him regarding the condition of victim who then was held in captivity in Devisthan. In response to which said Surinder Kumar visited the Devisthan and conveyed to him regarding the movement of Bakarwals and condition of the victim. Besides, some of the witnesses examined under section 161CrPC corroborated regarding the movement/presence of Surinder Kumar in and around said Devisthan. Said Surinder Kumar was accordingly arrested and is presently in judicial custody. Further investigation in respect of his involvement in the case is being conducted which may include his narco- analysis for which his consent has already been obtained.

In the course of investigation it transpired that accused Vishal Jangotra who is a student of BSc Agriculture at Akansha College Mirapur, UP and actively took part in the rape and murder of the victim, has tried to create an alibi by resorting to manipulation of records and creation of false evidence with the connivance and assistance of his father (SanjiRam) and one Kishore S/O Prem Nath (his relation) R/O Chanmorian, Hiranagar, R.P Singh, Chairman, Akansha College Mirapur, UP and some other employees of Chawdhary Charan Singh University Meerut, who as per the inputs received during investigation have received huge amount as a kick back from the accused Sanji Ram. This aspect needs further investigation as records are to be collected from concerned college/university and in respect of some documents expert opinion from FSL is awaited. Besides, Digital Video Recorder of the Examination Centre where accused claimed to have appeared in examination at Khatoli, Muzaffarnagar has also been seized and has been sent for forensic examination for expert opinion. After conducting further investigation supplementary charge sheet shall follow.

Whatever surfaced in the course of investigation leads to the irresistible conclusion that the accused namely Sanji Ram S/o Des Raj R/o Village Rasana, Hiranagar, Shubam Sangra @ Chuboo S/o Om Parkash Sangra R/o Ward No. 10, Hiranagar A/o Village- Rasana Hiranagar; Deepak Khajuria @ Deepu S/o Updesh Khajuria R/o Dhamiyal Hiranagar;;Parvesh Kumar @ Mannu S/o Ashok Kumar R/o Village -Rasana, Hiranagar; Vishal Jangotra s/o Sanji Ram R/oi Rasana, Hiranagar;;Tilak Raj S/o Amir Chand R/o Dhamiyal, Hiranagar;Anand Dutta S/o Shanti Swaroop Dutta R/o Village Dharmal P/o Muthi, District Jammu and Surinder Kumar S/o Sain Das R/o Satura, Hiranagar have undoubtedly committed offences Punishable under section 363/343/376-D/302/201 r/w 120-B RPC. Accordingly, the Charge sheet in respect of above named accused person is produced before the Hon’ble Court for judicial determination in accordance with the Juvenile Justice (Care and Protection) Act. For the other accused persons involved in the above mentioned FIR, a separate charge sheet is being submitted in the Ld. Court of JMIC, Hiranagar.

List of the witnesses which the prosecution proposes to produce before the Hon’ble Court for deposition and the documents relied upon forms part of Charge Sheet as PART-1 and PART-2.

Sr. Superintendent of Police,
SHO P/S Crime Branch,
Jammu.

संघ, पटाखे और मूर्खता संघ, पटाखे और मूर्खता संघ, पटाखे और मूर्खता patakhe

संघ, पटाखे और मूर्खता

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही दिन पहले पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया था. इस बैन पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आई उनमें से सबसे प्रमुख प्रतिक्रियाएं एक ऐसे वर्ग की आयीं जिसने यह दिखाने की कोशिश की कि सुप्रीमकोर्ट का पटाखों पर बैन हिन्दू धर्म के विरुद्ध है और सुप्रीमकोर्ट को यह बैन मुस्लिम धर्म के विरुद्ध भी लगाना चाहिए. यह प्रतिक्रिया जायज ही भाजपा एवं संघ की तरफ से आई. इस पार्टी से यही आशा रखी जा सकती थी. भाजपा से प्रगृति के बारे में सोचने एवं कुछ करने की आशा करना स्वयम को निराश करने योग्य है. यह दिमागी रूप से असहाय एवं अपंग लोगों की पार्टी बनती जा रही है. वृहद रूप से मुद्दों के बारे में चर्चा, समाज की एवं राष्ट्र की प्रमुख समस्याओं के बारे में चर्चा की न इनसे आशा की जा सकती और न ही इनके यह वश में है. गाय, गंगा, गायत्री, सरस्वती, मन्दिर आदि इनके लिए मुद्दे हैं. गरीबी, बेरोजगारी, तरक्की, विज्ञान आदि नहीं. खैर, पटाखा बिक्री पर बैन व्यापारियों के लिए कहीं न कहीं हानिकारक साबित हुआ है इसमें कोई शक नहीं और मैंने प्रमुखता से टीवी डिबेट्स में यह मुद्दा उठाया है कि व्यापारियों की यह हालत सरकार की वजह से हुई है जो अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. ऐसे में इनके नुक्सान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए. ज्ञातव्य है कि सुप्रीमकोर्ट ने पटाखे की बिक्री पर चिंता 2005 में ही जता दी थी. उस समय से अभी तक बारह वर्ष हो गये हैं और प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार भारत के हर नागरिक के पास है और जीवन के अधिकार में स्वच्छ वायु, जल भी शामिल है. इस अधिकार को भारत के हर नागरिक को उपलब्ध कराने के लिए माननीय सुप्रीमकोर्ट ने हजारों एतिहासिक फैंसले दिए हैं. ऐसे में सुप्रीमकोर्ट के इस फैंसले को हिन्दू विरोधी बताना मानसिक अपंगता से अधिक कुछ भी नहीं है.

सुप्रीमकोर्ट ने सबसे पहले M.C.Mehta के फैंसलों में दिल्ली से हानिकारक फेक्ट्री बाहर शिफ्ट कराई, फरीदाबाद में लगभग 1500 यूनिट फेक्टरियों की बंद कराई, अरावली को बचाने के लिए सालों से लगातार सुनवाई चल रही है. वेटलैंड को लेकर सुनवाई हो या गंगा के प्रदूषण को लेकर, दिल्ली में यमुना की सफाई हो या दस वर्ष से पुराने डीजल वाहनों का बंद करना; यह सब हमें न्यायपालिका के सौजन्य से ही मिला है. दिल्ली में CNG वाहन से लेकर ट्रेफिक पर रेगुलेशन तक सब कुछ हमें सुप्रीमकोर्ट ने ही दिया है. ऐसे में इस फैंसले को आगे रख कोर्ट को ही धर्म का विरोधी बताने वाले लोगों को क्या कहना चाहिए यह मेरी समझ से बाहर है. खैर, सुप्रीमकोर्ट के फैंसले के बाद सोशल मीडिया पर अलग अलग ट्रेंड शुरू हुए. कल मेरे एक ट्रेंड पकड़ में आया जो #मीलॉर्ड लिखने से दिख रहा था. लोगों ने जानबूझ कर यह टैग इस्तेमाल किया और अधिकाधिक पटाखे बजाये. जानकारी के अनुसार सुप्रीमकोर्ट के बाहर जाकर भी रात को पटाखे बजाए गये. कुछ शहरों में बहुतेरी जगह पर रात 9:30 के बाद आतिशबाजी शुरू हुई क्योंकि माननीय पंजाब एवं हरयाणा उच्च न्यायालय ने इस समय के बाद पटाखे चलाने पर बैन लगा रखा था. यह सब इवेंट्स कहीं न कहीं सरकार द्वारा प्रायोजित हैं क्योंकि सरकार में शामिल सांसद, विधायकों ने ही सबसे पहले फैंसले को धर्म विरोधी बताया.

पर क्या फैंसला धर्म विरोधी है? वैदिक धर्म के अनुसार यह सृष्टि पञ्च तत्वों से बनी है. वायु, जल, पृथ्वी, आकाश एवं अग्नि. हिन्दू धर्म इन पञ्च तत्वों की पूजा एवं आराधना के आस पास घूमता है. कहा जाता है कि मृत्यू के बाद शरीर इस पंचतत्व में ही विलीन हो जाता है. यही कारण है कि हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु के बाद मृत शरीर को अग्नि दी जाती है. पटाखे इन पञ्च तत्वों में से कम से कम 4 तत्वों को गम्भीर रूप से नुक्सान करते हैं. हिन्दू धर्म की अग्नि पूजन विधि, वैदिक हवन विधि यह सब पञ्च तत्व की शुद्धि के लिए ही होते हैं. ऐसे में पञ्च तत्व को प्रदूषित करने वाला कुछ भी हो सकता है पर सच्चा हिन्दू नहीं. रामायण की किन्द्व्नती के अनुसार श्रीराम के आने के बाद अयोध्या में घी के दिए जलाए गये थे. ऐसे में प्रमुख मान्यता घी के दिए जलाने की है जिसे बाद में मोमबत्ती और इलेक्ट्रिकल लाइट्स से सपोर्ट कर दिया गया. पर क्या पटाखे पुरातन हिन्दू धर्म का हिस्सा थे? व्यापारीकरण के बढने के साथ इस त्यौहार पर पटाखों की बिक्री शुरू हुई. पटाखे बनने ही कुछ डेढ़ सौ वर्ष पहले प्रारम्भ हुए हैं तो यह हिन्दू धर्म का हिस्सा कैसे हुए? यह केवल व्यापारीकरण के दौर में शुरू की गयी नई प्रथा है जिसे हम पर्यावरण के लिए सहज ही छोड़ सकते हैं. मैं इस बात के पूर्ण समर्थन में हूँ कि पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध हो और इन्हें किसी भी स्तर पर बजाने की आज्ञा न दी जाये. परम्परा अथवा प्रथा के नाम पर नववर्ष, गुरुपर्ब, दिवाली और यहाँ तक कि होली पर भी इन्हें चलाना केवल गलत ही कहा जायेगा. शादी ब्याह में भी इनके इस्तेमाल को मैं गलत मानता हूँ; यही कारण है कि स्वयम की शादी में भी मैंने इनका इस्तेमाल नहीं होने दिया था. सेहत के लिए बेहद हानिकारिक ये पटाखे कहीं भी कोई फायदा नहीं करते; ऐसे में इन्हें छोड़ना ही श्रेयस्कर है.

क्या मैं मुस्लिम समर्थक हूँ? कुछ बेहुदे व्यक्ति मेरे पटाखों के विरोध को मेरे कथित मुस्लिम धर्म समर्थन से जोड़ रहे हैं. इन्हें बेहूदा ही कहना सही है क्योंकि न उनकी भाषा ही संस्कारवान है और न ही उनके स्वयम के संस्कार ही यहाँ झलक रहे हैं. कुछ का कहना है कि मैं बकरे काटने का समर्थक हूँ. श्रीमान जी मैं जीव हत्या के इतना खिलाफ हूँ कि मैं खाने में भी पूर्णतया शाकाहारी हूँ. रही बात ईद पर बकरे कटने की तो इसका पहले भी विरोध किया था, आज भी करता हूँ और कल भी विरोध में ही मिलूंगा. मैं कोई धर्मनिरपेक्ष नहीं जो एक धर्म का समर्थन कर दूसरे का विरोध करूं. मेरे लिए सब धर्म एक समान हैं और गंदगी का घर हैं. इन्हें समाप्त कर देना ही मानवता के हित में है. फिर भले ही मुस्लिम धर्म के नाम पर चल रहा मानवीय आतंकवाद हो अथवा हिन्दू धर्म के नाम पर चल रहा गौ आतंकवाद, पटाखा आतंकवाद हो. यह उन कथित हिन्दू धर्म के हिमायतियों को ही सोचना चाहिए कि वे हिन्दू धर्म के कितना समर्थन में हैं? पंचतत्व में गंदगी फैला कर किस मूंह से आप पंचतत्व शुद्धि का नाटक करेंगे. चलिए, मैं तो चाहूँगा कि आपके घर में कोई दमा का मरीज न हो. समूचे विश्व में सबसे अधिक दमे के मरीजों को अपने अंदर समाहित किये भारतवर्ष में इतने खतरनाक प्रदूषण से आप केवल स्वयम का ही नुकसान नहीं कर रहे अपितु उन लाखों बच्चों और बूढों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं जो दमे के मरीज हैं अथवा श्वास की किसी भी बीमारी से पीड़ित हैं.

अपने धर्म की मान्यताओं को प्रदूषित कर धर्म की रक्षा आपको मुबारक भाई. आपके अलावा सभी मित्रों को दीपावली की मुबारकबाद. इस कथित हिन्दू धर्म के समर्थन में प्रोपोगेन्डा फैलाने वाले संघ को तो बिलकुल भी कोई मुबारकबाद नहीं.आप देश विरोधी हैं यह पहले भी पता था पर कल यकीन हो गया वह भी सबूत के साथ. आपने देश को केवल सीमा माना है और देश के नागरिक, देश की वायु, देश के जल को शायद अभी भी पाकिस्तानी मानते हैं.

बाबा गुरमीत राम रहीम गिरफ्तारी; कुछ सवाल

आम तौर पर चुप्पी साधे रहने वाला लो प्रोफाइल लेकिन साफ़ सुथरा शहर पंचकुला आज कल गलत कारणों से चर्चा में है. दरअसल डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम इंसा की पंचकुला सीबीआई कोर्ट में पेशी 25 अगस्त के लिए निर्धारित थी. पन्द्रह वर्ष पुराने साध्वी यौन शोषण मामले में बहस पूरी होने के बाद यहाँ मामले का फैंसला सुनाया जाना था. यही वह कारण था कि पंचकुला एक दम से राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में आ गया. 25 अगस्त को डेरा मुखी की पेशी के बाद उन्हें सजा सुना दी गयी और उस सजा के बाद पंचकुला में जो तांडव हुआ वह समस्त राष्ट्र ने देखा है. 76 गाड़ियाँ जला दी गयी, 35 से अधिक डेरा समर्थक हिंसा के बाद सुरक्षा बलों की गोली के शिकार हुए. डेरा हेडक्वार्टर सिरसा कमोबेश थोडा अधिक शांत लेकिन पूरी तरह तनावपूर्ण रहा. वहां भी कुछ लोग गोलियों के शिकार बने. आइये इस घटनाक्रम के इतिहास को जानते हैं और बाद में लिए जाने लायक सबक देखते हैं.

25 अगस्त 2017 को होने वाली पेशी के दौरान माननीय सीबीआई अदालत ने डेरा मुखी को निजी तौर पर पेश होने का आदेश दिया. कानूनन रूप से आरोपी को सजा अथवा बरी करने का कार्य अदालत आरोपी के सामने ही करती है ताकि वह ऊपरी अदालत में जाकर यह न कह सके कि उसे सजा देने से पहले सुनवाई का अधिकार नहीं मिला. कानून में ऐसे प्रावधान भी किये गये हैं. ऐसे में उन्हें पेश होने के लिए कहना प्राकृतिक न्याय के अनुरूप था. यहीं से पंचकुला सुर्ख़ियों में आया. एक एक कर यहाँ डेरा समर्थक जमा होने शुरू हो गये. स्थिति और भी गंभीर हो गयी जब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बाकायदा प्रैस कोंफ्रेंस कर मीडिया को जानकारी दी कि 25 तारिख को डेरा मुखी कोर्ट में पेश होंगे. ऐसे में मीडिया के माध्यम से भी समर्थकों तक आधिकारिक मैसेज पंहुच गया कि डेरा मुखी पंचकुला में आयेंगे. हालाँकि बाद में डेरे के द्वारा मुख्यमंत्री के ब्यान का खंडन किया गया और यह कहा कि डेरे की तरफ से ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया गया है एवं वे कानून का सम्मान करते हैं. पंचकुला में एहतियातन धारा 144 लगा दी गयी. लेकिन बावजूद उसके खेल बिगड़ना शुरू हो गया. चारों तरफ पुलिस के पहरे के बावजूद लगभग 2500 समर्थक एक दिन पंचकुला जिला न्यायालय के कोम्प्लेक्स में प्रवेश कर गये. यह बड़ी चूक थी. इसके बाद पहरा और कडा कर दिया गया और अदालत के वकीलों को भी कड़ी तलाशी अभियान से गुजारा जाने लगा और उनकी गाड़ियों की पार्किंग तक बदल दी गयी. इस बात को लेकर वकीलों के अंदर नाराजगी आई और बात कहासुनी तक भी पंहुच गयी. बढती टेंशन के माहौल में जिला बार एसोसिएशन पंचकुला ने अपना कार्य 23 अगस्त से 25 अगस्त तक सुरक्षा के लिहाज से सस्पेंड करने का फैंसला कर लिया. यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण था. एक आरोपी की पेशी के कारण ही यदि न्यायालय के अंदर कार्य बंद हो जायेगा तो स्वतंत्रता को खतरा होना लाजमी है. इस बीच डेरा समर्थक ;लगातार जीरकपुर के रास्ते से पंचकुला में प्रवेश करते गये और मीडिया के आकलन के अनुसार 18 अगस्त से 22 अगस्त के बीच लगभग डेढ़ लाख लोग आ गये. धारा 144 के बावजूद भी इतने लोगों का पंचकुला में इकट्ठा होना खतरनाक था. ज्ञातव्य है कि पंचकुला छोटा शहर है और यहाँ की कुल जनसख्या लगभग 3.5 लाख ही है. बाहर से आने वाले लोग पंचकुला के हर पार्क में फ़ैल गये. सरकार और निगम के द्वारा अलग से इंतजाम करने की जगह पब्लिक टॉयलेट तक बंद कर दिए गये. ऐसे में यहाँ बारिश के दिनों में हालात और खराब हो गये. 21 तारीख आते आते लोग सेक्टर 21, 23, 24 में घरों के आगे बैठना शुरू हो गये. पंचकुला के बहुत से लोगों की हालत एक तरह बंधक जैसी हो गयी. यह सब शर्मनाक था और एक बड़ी विपदा को जन्म देने के लिए काफी था. ऐसे में मैंने माननीय हाईकोर्ट में जनहित याचिका के द्वारा जाने का फैंसला लिया. सरकार पंचकुला के लोगों को डेरा समर्थकों की दया का पात्र बना कर नहीं छोड़ सकती थी. मामला 23 अगस्त सुबह फ़ाइल कर दिया गया. किसी विपरीत स्थिति के बावजूद भी मामला हर हाल में सुनवाई के लिए कोर्ट में आये इसके लिए दोपहर दो बजे मैंने अपने कुछ वकील साथियों के साथ जा माननीय न्यायमूर्ति अजय कुमार मित्तल की खंडपीठ के आगे गुजारिश की कि इसे 23 को ही सुनवाई के लिए रख लिया जाये लेकिन न्यायालय ने मेरी रिक्वेस्ट में देरी के चलते इसे 24 अगस्त के लिए रख दिया. 23 अगस्त को एक और दुर्भाग्यपूर्ण खबर आई. उच्च न्यायालय की बार एसोसिएशन माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से मिलने गयी और रिक्वेस्ट की कि पंचकुला से आने वाले 800-1000 वकीलों को जान का खतरा है और यदि वे कोर्ट में पेश न हो पायें तो उनके मामलों में कोई नकारात्मक ऑर्डर न दिए जाये. इस गुजारिश को माननीय जस्टिस सारों ने मान लिया.

24 अगस्त से 26 अगस्त 2017 के बीच की एतिहासिक कार्यवाही:

मामला लगभग 10:30 पर माननीय जस्टिस सारों और जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ के आगे सुनवाई के लिए आया. यह हैरानी की बात थी कि मामले की संजीदगी को देख माननीय न्यायालय ने हरयाणा और पंजाब के महाधिवक्ता को एवं केंद्र से अतिरिक्त सोलिसिटर जरनल श्री सत्यपाल जैन को पहले से ही कोर्ट में आने के लिए कह दिया था. सुबह की सुनवाई में माननीय कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि यदि फरवरी 2016 वाला घटनाक्रम दोबारा हुआ तो कोर्ट हरयाणा के DGP को बर्खास्त करने से भी नहीं हिचकेगी. केंद्र से कहा गया कि कोर्ट को नहीं लगता कि हरयाणा की तैयारी ठीक है और वह सम्भालने में सक्षम है; क़ानून व्यवस्था बनाये रखना केंद्र का भी दायित्व है. केंद्र यह बताये कि सुरक्षा के लिहाज से केंद्र ने हरयाणा एवं पंजाब को क्या सहायता दी और कितनी और देने में सक्षम है. मामले को दोपहर बाद 2 बजे के लिए रख लिया गया. हरियाणा से पूछा गया कि धारा 144 के बावजूद इतने लोगों का पंचकुला में होना हैरान करने वाला है; सरकार इसका आदेश पेश करे. दोपहर बाद जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया तो मंजर बेहद हैरान करने वाला था. धारा 144 के ऑर्डर में कभी भी 5 अथवा 5 से अधिक लोगों का पंचकुला में आना मना ही नहीं किया गया था. ऐसे में जवाबदेही तो बनती ही थी. हरयाणा के ADGP श्री चावला कोर्ट में स्वयं पेश हुए और उन्होंने कहा कि उन्होंने पुख्ता जानकारी जुटाई है कि डेरे के द्वारा अपने समर्थकों को पंचकुला आने के लिए कहा गया है. उनके द्वारा यह भी कहा गया कि वे पंचकुला में लोगों का आना रोकने में अक्षम हैं. ऐसा लगता था कि पंचकुला को दया पर छोड़ दिया गया था. केंद्र ने कहा कि पंजाब को 75 एवं हरयाणा को केवल 56 कम्पनियां उपलब्ध कराई गयी हैं. यह संख्या बेहद कम थी. चूंकि एक कम्पनी में केवल 130 जवान होते हैं और एक जवान की एक दिन में केवल 8 घंटे की ही ड्यूटी रहती है ऐसे में क़ानून व्यवस्था का क्या हाल हो सकता था यह सोचने में भी डर लगता है. इसके बाद मामले को तीसरी बार सुनवाई के लिए शाम 3:30 पर रख लिया गया. तीसरी सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत भी पीठ का हिस्सा बन गये. पूर्ण पीठ के आदेश के बाद हरयाणा को 49 अतिरिक्त कम्पनी और पंजाब को 9 अतिरिक्त कम्पनियां मुहैया करवाई गयी. साथ ही सरकार को सुनिषित करने के लिए कहा गया कि डेरा समर्थकों को घर वापस जाने के लिए कह दिया जाये और डेरे को आदेश दिए गये कि डेरा मुखी अपने समर्थकों से वापस जाने के लिए अपील करें. एतिहासिक रूप से कोर्ट ने आदेश दिए कि कोई भी व्यक्ति, धार्मिक नेता, राजनेता आदि भडकाऊ बयानबाजी नहीं करेगा.

24 अगस्त की रात:

24 अगस्त की रात सरकार के द्वारा समर्थकों को बाहर निकालने की कथित कोशिश की गई लेकिन वह कोशिश माजरी चौक पुल के नीचे तक ही सीमित रह गयी. लेकिन एक अच्छा कार्य हुआ. कोर्ट के आदेश के बाद इन समर्थकों को लगभग सैक्टर 5 पंचकुला तक सीमित कर दिया गया. इसके अतिरिक्त कुछ लोग किसी किसी बिल्डिंग में रह गये. ज्ञातव्य है कि कोर्ट की सुनवाई में बहुत से वकील साथियों ने आप बीती भी सुनाई थी; उनके अनुसार कुछ लोगों ने घरों में भी घुसने की कोशिश की थी. देर रात मुख्यमंत्री सचिवालय के एक वरिष्ट अधिकारी ने आकर इस ओपरेशन को भी रोक दिया. ऐसे में सभी लोग पंचकुला में ही रह गये.

25 अगस्त का दिन और उसके बाद :

25 अगस्त को सुबह 11 बजे सुनवाई हुई. माननीय कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि सरकार डेरे के साथ मिली हुई है. मैंने कहा कि लगभग 800 गाड़ियों का काफिला सिरसा से चला है और यह काफिला स्वयं खतरा हो सकता है. जब कोर्ट ने पूछा तो महाधिवक्ता ने कहा कि उन्हें बताई गयी जानकारी के अनुसार कुल 7 गाड़ियाँ आ रही हैं. कौन सही था यह आप सबने देखा होगा. इसके अलावा सरकार ने कहा कि सैक्टर 5 में कुछ लोग रह गये हैं और बाकियों को कोर्ट के आदेश के बाद निकाल दिया गया है. कोर्ट ने आदेश दिया कि सुरक्षा बनाये रखने के लिए सैनिक कोई भी कार्यवाही करने से न चूकें और किसी आदेश का इंतज़ार न करें.  मामले को दोपहर बाद 4 बजे के लिए रख लिया गया. इस बीच सीबीआई कोर्ट ने डेरा मुखी को सजा सुना दी और उसके बाद डेरा समर्थकों के द्वारा व्यापक हिंसा फैलाई गयी. कोर्ट के आदेश के अनुसार फ़ोर्स ने अपना काम किया और आर्मी स्टैंड बाई रही. पंचकुला में कथित तौर पर कर्फ्यू लगा दिया गया. सिरसा और पंजाब के कई शहरों में भी यकायक हिंसा हुई. कोर्ट ने डेरे के वकील को आदेश दिया कि रिकवरी के लिए तैयार रहें और डेरा अपनी सम्पत्ति को ट्रांसफर न करे. नुक्सान के जायजे के लिए एवं अन्य कार्यों के लिए कोर्ट को 26 अगस्त छुट्टी के दिन के लिए स्थगित कर दिया गया. छुट्टी वाले दिन कोर्ट फिर से बैठी जहाँ जानकारी दी गयी कि 28 लोग पंचकुला में मृत्यू को प्राप्त हुए हैं और बहुत से घायल हैं. पंजाब में कोई मृत्यू नहीं हुई. पंचकुला के DCP को सस्पेंड कर दिया गया है. माननीय कोर्ट ने इसपर हैरानी जताई कि इतने निचले स्तर के अधिकारी को सस्पेंड करना यह साबित करता है कि सरकार कहीं न कहीं डेरे के साथ मिलीं हुई थी और पंचकुला में जानबूझ कर लोगों को आने दिया गया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह मामले की तह तक जाएगी और इस मामले में किसी को नहीं बक्शा जायेगा. 29 अगस्त को सुनवाई के दौरान माननीय कोर्ट ने इस बात पर एतराज जताया कि सरकार यह कह रही है कि पंचकुला में लोगों को इकट्ठा होने देना प्लान का हिस्सा था. कोर्ट ने कहा कि यदि यह प्लान था तो धारा 144 का गलत ऑर्डर पास करने के लिए DCP को सस्पेंड ही क्यों किया गया. सरकार ने बार बार कोर्ट को अँधेरे में रखा. कहा गया सब कुछ कंट्रोल में है; बावजूद इसके इतनी व्यापक स्तर पर हिंसा हुई.

इस मामले में अब आगे सुनवाई 27 सितम्बर को होगी लेकिन सबक तो हम ले ही सकते हैं. राजनीति से धर्म को पूर्णतया अलग करना समय की जरूरत है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है एवं सरकारें धर्म से स्वयं को दूर रखें.माननीय कोर्ट की सक्रियता एतिहासिक थी और इससे जनता का न्यायपालिका पर विश्वास बहुत बढ़ा है. मेरे कुछ प्रश्न हैं यदि कोई सरकार उत्तर दे पाए तो:

  1. धारा 144 का गलत ऑर्डर क्यों पास किया गया और यदि यह सही था तो कोर्ट में इसे टाइपिंग एरर क्यों बताया गया?
  2. बिना जांच के मुख्यमंत्री ने डेरा प्रेमियों को निर्दोष क्यों बताया और मुख्यमंत्री ने मीडिया के सामने पहले यह क्यों कहा कि उन्होंने डेरा मुखी से स्वयं बात की है. यदि मुख्यमंत्री दोषियों को जानते थे तो उन्होंने पहले उन्हें पंचकुला में क्यों नहीं पकड़ा?
  3. कथित प्लानिंग में पंचकुला को जलने के लिए क्यों छोड़ दिया गया. यदि कोर्ट के आदेश पर सेक्टर खाली न करवाए जाते तो?
  4. नाम चर्चा घर सेक्टर 23 में लगातार भंडारा चल रहा था; इन्हें सिलिंडर की आपूर्ति कहाँ से हो रही थी और रसद कहाँ से दी जा रही थी? शिक्षा मंत्री की मानें तो क्या यह सरकार कर रही थी?
  5. डेरा मुखी के साथ उनकी मूंह बोली बेटी हनिप्रीत हेलिकोप्टर में रोहतक क्यों गयी? DGP कहते हैं आदेश कोर्ट से आया और कोर्ट ऐसा आदेश देने से ही मना कर रही है.
  6. कर्फ्यू के बावजूद सिरसा से 350 गाड़ियाँ (सरकार के अनुसार) कैसे निकली और उनकी जांच क्यों नहीं हुई? पंचकुला में धारा 144 होने के बावजूद भी 173 गाड़ियाँ क्यों पंहुची और उन्हें आने का आदेश किसने दिया?
  7. केंद्र ने इतनी कम सुरक्षा क्यों मुहैया करवाई? क्या सच में ही केंद्र हरयाणा या पंजाब को कुछ नहीं मानता?
  8. उस अधिकारी के विरुद्ध क्या कार्यवाही होगी जिसने रात को पुलिस का ओपरेशन रुकवाया?
  9. यदि सरकार ने प्लानिंग की थी तो DCP को सस्पेंड क्यों किया गया?
  10. पुख्ता जानकारी होने के बावजूद भी सरकार पब्लिक में क्यों कहती रही कि पंचकुला में शांतिप्रिय लोग बैठे हैं. नाम चर्चा घरों को चैक क्यों नहीं किया गया?
  11. इतनी सुरक्षा के बावजूद भी पंचकुला में लोग हथियार लेकर कैसे आये?
  12. कोर्ट में बार बार झूठ बोलने की क्या वजह है?
  13. मुख्यमंत्री को हिंसा करने वालो के समर्थन में क्यों आना पड़ा?
  14. केवल तीन महीने पहले सरकार ने कोर्ट में रिपोर्ट सोंपी है कि डेरे में कोई आपत्तिजनक चीज नहीं है तो ये हथियार कहाँ से आये?
  15. अभी तक भी सरकार के मंत्रीगण डेरे को क्यों डिफेंड कर रहे हैं?
  16. रामविलास शर्मा जी के विरुद्ध कानूनी प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
  17. अभी तक सिरसा के प्रमुख डेरे में आर्मी को क्यों नहीं जाने दिया जा रहा और इतनी सुरक्षा के बावजूद भी लगभग 15 ट्रक बिना चैकिंग सिरसा डेरे को छोड़ राजस्थान कैसे पंहुचे हैं? डेरा मुखी का परिवार घेराव के बावजूद भी राजस्थान पंहुचने में कैसे सफल हुआ?
  18. पंचकुला के लोगों के जीवन को खतरे में डालने का सरकार के पास क्या अधिकार था?
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आह

आह देखो यह राह मैंने ही बनाई थी

इस राह पर माटी मैंने ही बिछाई थी
इस माटी से तुमने एक मूरत बनाई थी

इस मूरत से निकल
तुम आज उस नए राह पर चले गए

जिस राह पर न मेरी माटी है
न मेरा अक्स

पर अपना ध्यान रखना

देखना बिन माटी के अक्सर
पैरों में कंकड़ चल जाते हैं।

गर कंकड़ चले और राह असम्भव लगे तो आ जाना
मेरी राह पर माटी बिछी है

मैं नहीं मिलूंगा पर वह माटी तुम्हें ले जायेगी।

तमन्ना का फूल

तमन्ना आज बगीचे में अकेली घूम रही थी. सामने उसका पसंदीदा पौधा था; बेहद सुन्दर रंग वाले फूल खिलते थे उसपर. केवल एक ही समस्या थी; उसमें कांटे थे…बहुत पैने कांटे जो कभी भी चुभ सकते थे. पर तमन्ना को वह पौधा जान से प्यारा था. आज उसने फूलों से छेड़खानी की ठान ली थी. जैसे ही उसने छूने की ठानी और हाथ लगाया काँटों से उसका हाथ छिल गया. तमन्ना बेहद परेशान हुई और चली गयी. बाहर पार्क में घूमते हुए तमन्ना को एक छोटा सा पौधा बहुत अच्छा लगा. गहरी नारंगी टहनियों के साथ उस पौधे में छोटे छोटे पत्ते आये हुए थे. उन पत्तों को छेड़ने में तमन्ना को बहुत अधिक आनंद आ रहा था. तमन्ना ने उस पौधे को अपने साथ ले लिया और चल दी अपने बगीचे की तरफ. बगीचे में उस पौधे को लगा कर तमन्ना ने उसमे पहली बार पानी डाला. पौधे के पत्तों पर गिरा पानी तमन्ना को भा रहा था. उस पौधे के साथ खेलना और अठखेलियाँ करना तमन्ना का हर रोज का कार्य हो गया. पत्तों को हाथ में लेकर छेड़ना और हर रोज पानी देना. पौधा अब बड़ा हो रहा था. एक दिन उस पौधे पर सुर्ख लाल रंग का फूल निकला. फूल ऐसा कि उसे देखना अपने आप में तमन्ना के लिए बेहद सुखद अनुभव था. तमन्ना ने उस फूल को तोड़ लिया और अपने पास रख लिया. सारा दिन उस फूल के साथ खेलने में बीता. लगातार मिल रहे ध्यान से वह पौधा फूलों से घिर गया. अब तमन्ना अपने पुराने पौधे को देखती नहीं थी जिसके कारण उसके हाथ कभी छिले थे. समय बीतता गया और साथ ही उस पौधे का और तमन्ना का रिश्ता और भी पुख्ता हो गया. एक दिन तमन्ना ने देखा उसके पुराने पौधे पर आज बेहद सुंदर नारंगी फूल निकला है. उस फूल की छटा उन लाल रंग के फूलों से कही ज्यादा सुन्दर थी. आज तमन्ना ने नारंगी फूल को तोडा और अपने साथ ले गयी. दुसरे पौधे पर लगे लाल फूल के बोझ से पौधा झुक गया और शाम होते होते वह फूल मुरझा गया. तमन्ना अब अपने पुराने पौधे में पानी देती; उसके साथ खेलती. फूल आ रहे थे तो कांटे पीछे छिप गये. पर नए पौधे पर लग रहे फूल अब सूख रहे थे. उन्हें कोई न सहलाता और कोई न तोड़ता. न ही उस पौधे को पानी देता. तमन्ना के बगीचे में लगा नया पौधा अब सूखने लगा था. कुछ दिन यह सिलसिला चलता रहा. एक दिन तमन्ना सुबह उठी और अपने नए पौधे को देखने के लिए चल पड़ी. बाहर बागीचे में तमन्ना जैसे ही गयी तो देखा वह पौधा पूरी तरह से सूख चूका था. पुराने पौधे पर लगे नारंगी फूल तमन्ना का इन्तजार कर रहे थे. सुर्ख लाल फूलों का नामोनिशान मिट चूका था. न किसी ने उसके फूल ही तोड़े; न ही किसी ने इसे पानी ही दिया. तमन्ना के बागीचे का नया पौधा मुरझा चुका था. पुराने पौधे पर अब भी फूल लग रहे थे. पर अब वह पौधा नहीं बचा था जिसके फूलों से और पत्तों से तमन्ना को बहुत प्यार था कभी.

बाहर किसकी है माया

एक खूबसूरत गीत है, उसकी शुरूआती पंक्तियाँ उस से भी अधिक खूबसूरत।
“जे मैं तैनूं बाहर ढूँढाँ तो भीतर कौन समाया। 
जे मैं तैनूं भीतर ढूँढाँ , बाहर किस दी है माया। “इस खूबसूरत पंक्ति को हम मानव चरित्र के हर पहलू के साथ जोड़ सकते हैं। यदि आप ईश्वर को मानते तो इसे ईश्वर के साथ जोड़ेंगे; यदि किसी रूठे हुए को मनाने निकले हैं तो उसके साथ जोड़ेंगे। पर यह जुड़ेगा अवश्य। मानव जीवन एक तलाश है और इस तलाश का महत्त्वपूर्ण पहलू है कि आप किसे तलाश रहे हैं ? क्या यह तलाश अनावश्यक नहीं ? पर यदि हम तलाश नहीं करेंगे तो जीवन का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य समाप्त हो जाएगा।

राही का तो काम है चलता ही जावे।  आप जितना आगे बढ़ेंगे तलाश उतनी ही गहन हो जाएगी और साथ में आपका अभियान भी तेज हो जायेगा।  चलना न छोड़ें; यह तलाश ही जीवन है।