मैं तुम्हें कोई दोष नहीं देता
सब दोष अपने संग वरता हूँ।
जीवन की इस अनकही पहेली पर
स्वयम् के प्राण मैं हरता हूँ।
मेरे जीवन का उत्तरदायी कौन
यह न कोई पूछेगा
इस जीवन की अथाह व्यथा को आखिर
कौन अपने संग वरेगा?
चल निकला मैं अब
उस सफ़र पर,
जिसका न कोई अंत है,
जिसकी न कोई परिधि है,
पर मैं तुम्हें कोई दोष नहीं देता,
जाने से पहले सब दोष स्वयं पर वरता हूँ।