अविराम चलता यह जीवन
इक नए मोड़ पर खड़ा है।पूछता है क्या किया जो
मुझे कोसते हो
इक नए मोड़ पर खड़ा है।पूछता है क्या किया जो
मुझे कोसते हो
कब मैंने तुम्हें हराया;
कब तुम्हारा दिल दुखाया
कब किस्मत के लेखे को;
मैं बदल पाया!
मैंने कहा ऐ जीवन;
कोसता यूं नहीं मैं के मैंने ठोकर खाई है;
कोसता यूं नहीं के मैं आज हारा हुआ हूँ;
कोसता यूं हूँ के भाग्य के लेखे को तूं बदल न पाया;
कोसता यूं हूँ के जब जीवन मेरा है;
यह भाग्य मेरा है तो फिर किसी का जीवन इसे प्रभावित क्यों करता है;
क्यों इन श्वासों के साथ दूसरे श्वासों का जुड़ाव हो जाता है;
क्यों तेरी तकदीर किसी और की तकदीर के साथ जुड़ जाती है;
क्यों तूँ निराश होता है;
जीवन ने कहा:
मैं तो तेरा ही भाग हूँ;
कोस मत बदल दे;
भाग्यरेखा क्या रोकेगी तुझे;
उठ खड़ा हो और चल;
इसे महान तूँ बनाएगा; इस व्याकुलता को तूँ मिटाएगा।
तब आया समझ ये जीवन तो आईना ही है मेरा;
इसमें केवल मैं ही तो हूँ; साथ ही हैं वे सब जिन्हें मैं चाहता हूँ।