भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं

भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं.
एक देश है, हजारों भाषा,
हजारों जाति और अनेक धर्म.
उबलता है देश सारा, के भारत नहीं है हमारा.
उबलते हैं सभी धर्म, के भारत नहीं है हमारा.

एक धर्म है हमारा, जो रखे देश को एक,
इस देश के भ्रष्ट लोग न पूछे कोई जाति,
बस हाथ फैलाकर करते स्वागत, हो कोई भी धर्म,
हमको पैसा देदो भाई, भले हो आपका कोई भी मर्म.

भारत एक है जब सामने आवे भ्रष्टाचार,
भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी एक साथ करें गुणगान,
हमारे सपने को भी कभी मिलेगा आकार,
बने भारत का एक नया ही राष्ट्रगान,
“भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी हम सब एक हैं,
कई धर्म हैं कई भाषा, होती हैं कई जाति भी,
एकता और अखंडता को एकजुट रखने में हम सब एक हैं,
जब तक जेब में आते नोट, भारत एक है.
भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी हम सब एक हैं.”—-रविन्द्र

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *