कानून की देवी तेरी जय जय कार,
छाया जब हर जगह अन्धकार,
राजा करता हो जनता पर अत्याचार,
ले हाथ में तराजू, जब उठाया तुमने यह बीड़ा,
हिल गयी सरकारें, पलट गए ताज.
कहती सरकारें, सीमा में नहीं कानून अब,
देवी करती सरकार पर अत्याचार,
पर पूछती है कलम मेरी इन सरकारों से,
क्यों छीना निवाला गरीब का, क्यों फैलाया भ्रष्टाचार.-रविन्द्र सिंह ढुल/दिनांक २३.१२.२०११