दुष्यंत कुमार की पुस्तक “साए में धूप ” एक अपाहिज समाज की व्यथा है जो भारत के आजाद होने के बाद इसके नेताओं ने इसे बना दिया है। एक ग़ज़ल नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ कृपया ध्यान से पढ़ें और सोचें: ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगो कि जैसे जल में झलकता हुआ महल, लोगो -देखिये यहाँ पर …
“क्या जय महाराष्ट्र सही है”
यही कोई पंद्रह वर्ष पहले दूरदर्शन पर एक सीरियल आता था “चाणक्य” नाम से . देश प्रेम के वाक्यों से लबालब यह सीरियल सही मायने में एक महान रचना थी। उस सीरियल के एक एपिसोड में चाणक्य कहते हैं, “यवनों ने भिन्न-भिन्न जनपदों के आस्था के भेद को नहीं देखा था. आक्रान्ताओं ने सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया …
एक बेरोजगार
आज मानव सड़क पर चला जा रहा था। उसके मन में कई तरह की गुत्थियां चल रही थीं।नौकरी मिल नहीं रही थी, ऊपर से माँ उसकी चिंता में मरी जा रही थी। मानव के तीन भाइयों में वह ही ऐसा था जिसके पास नौकरी नहीं थी, इसलिए उसे घर में कोई बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी। पिता जी …
आजादी की छुट्टी।
आजादी की छुट्टी पर एक छोटा बच्चा अपनी माँ से पूछ बैठा, “माँ, ये छुट्टी क्यों होती है” माँ परेशान रहती हुई कोई जवाब न दे पायी. इतने में बच्चे ने फिर से पूछा, “माँ जवाब क्यों नहीं देती?” माँ ने सोचा फिर जवाब दिया,”बेटा क्योंकि आज के दिन हमें गुलामी से आजादी मिली थी, इस से पहले हमारे लोग …
एक बेरोजगार
इस किनारे चलते हुए चुन्नी लाल ने बहती नदिया के पार देखा. इस किनारे बड़े बंगले थे, बड़े बाजार थे, उन बाजारों में केवल कुछ हजार लोग थे। वे लोग ऐसे थे जो चलते थे, उड़ते थे, कभी कभी तो कर्म ऐसा करते थे, जिन कर्मों में कोई धर्म नहीं, जिन आदमियों में कोई सच्चा कर्म नहीं,पर उनका उड़ना कभी कम नहीं हुआ, उनका चलना कभी कम नहीं हुआ. …
भारत की आद्र्भूमियाँ(WETLANDS) और भारत सरकार की विफलता
2010 में जब भारत सरकार ने आद्र्भूमियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए नियम बनाए थे तो सबको आशा थी के जयराम रमेश के पर्यावरण मंत्री होने के नाते शायद सरकार कोई ठोस कदम उठाए, पर यह कानून भी अन्य कानूनों की तरह बिना धार की तलवार बना दिया गया. पूरे विरोध के बावजूद भी इसे 2011 में सरकार ने …
भारतीय भाषाओँ का विनाश और इंग्लिश
लार्ड मैकाले ने भारत में ब्रिटिश शिक्षा पद्दति को जब सख्ती से लागू किया था तो उसने ब्रिटिश सरकार को यह विश्वास दिलवाया था कि भारत में अंग्रेजी और अंग्रेजियत का प्रचार एवं प्रसार यदि किया गया तो भारत की संस्कृति धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी और भारत की आने वाली पीढियां एक ऐसे समय में पैदा होंगी जब वे सिर्फ …
क्रांति का अर्थ
क्रांति का अर्थ: क्रांति का आज कल हर जगह मजाक उड़ाया जा रहा है.कभी ये आन्दोलन तो कभी वो आन्दोलन, लगता है जैसे भारतवर्ष में आंदोलनों की बहार आ गयी है.पंद्रह अगस्त क्या आई रामदेव जी ने अगस्त क्रांति का ऐलान कर दिया. कुछ ही दिन बीते थे जब अन्ना हजारे जी एक क्रांति का नेतृत्व कर रहे थे….अब ज़रा …
भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं
भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं. एक देश है, हजारों भाषा, हजारों जाति और अनेक धर्म. उबलता है देश सारा, के भारत नहीं है हमारा. उबलते हैं सभी धर्म, के भारत नहीं है हमारा. एक धर्म है हमारा, जो रखे देश को एक, इस देश के भ्रष्ट लोग न पूछे कोई जाति, बस हाथ फैलाकर करते स्वागत, …
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