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संघ, पटाखे और मूर्खता

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही दिन पहले पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया था. इस बैन पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आई उनमें से सबसे प्रमुख प्रतिक्रियाएं एक ऐसे वर्ग की आयीं जिसने यह दिखाने की कोशिश की कि सुप्रीमकोर्ट का पटाखों पर बैन हिन्दू धर्म के विरुद्ध है और सुप्रीमकोर्ट को यह बैन मुस्लिम धर्म के विरुद्ध भी लगाना चाहिए. यह प्रतिक्रिया जायज ही भाजपा एवं संघ की तरफ से आई. इस पार्टी से यही आशा रखी जा सकती थी. भाजपा से प्रगृति के बारे में सोचने एवं कुछ करने की आशा करना स्वयम को निराश करने योग्य है. यह दिमागी रूप से असहाय एवं अपंग लोगों की पार्टी बनती जा रही है. वृहद रूप से मुद्दों के बारे में चर्चा, समाज की एवं राष्ट्र की प्रमुख समस्याओं के बारे में चर्चा की न इनसे आशा की जा सकती और न ही इनके यह वश में है. गाय, गंगा, गायत्री, सरस्वती, मन्दिर आदि इनके लिए मुद्दे हैं. गरीबी, बेरोजगारी, तरक्की, विज्ञान आदि नहीं. खैर, पटाखा बिक्री पर बैन व्यापारियों के लिए कहीं न कहीं हानिकारक साबित हुआ है इसमें कोई शक नहीं और मैंने प्रमुखता से टीवी डिबेट्स में यह मुद्दा उठाया है कि व्यापारियों की यह हालत सरकार की वजह से हुई है जो अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. ऐसे में इनके नुक्सान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए. ज्ञातव्य है कि सुप्रीमकोर्ट ने पटाखे की बिक्री पर चिंता 2005 में ही जता दी थी. उस समय से अभी तक बारह वर्ष हो गये हैं और प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार भारत के हर नागरिक के पास है और जीवन के अधिकार में स्वच्छ वायु, जल भी शामिल है. इस अधिकार को भारत के हर नागरिक को उपलब्ध कराने के लिए माननीय सुप्रीमकोर्ट ने हजारों एतिहासिक फैंसले दिए हैं. ऐसे में सुप्रीमकोर्ट के इस फैंसले को हिन्दू विरोधी बताना मानसिक अपंगता से अधिक कुछ भी नहीं है.

सुप्रीमकोर्ट ने सबसे पहले M.C.Mehta के फैंसलों में दिल्ली से हानिकारक फेक्ट्री बाहर शिफ्ट कराई, फरीदाबाद में लगभग 1500 यूनिट फेक्टरियों की बंद कराई, अरावली को बचाने के लिए सालों से लगातार सुनवाई चल रही है. वेटलैंड को लेकर सुनवाई हो या गंगा के प्रदूषण को लेकर, दिल्ली में यमुना की सफाई हो या दस वर्ष से पुराने डीजल वाहनों का बंद करना; यह सब हमें न्यायपालिका के सौजन्य से ही मिला है. दिल्ली में CNG वाहन से लेकर ट्रेफिक पर रेगुलेशन तक सब कुछ हमें सुप्रीमकोर्ट ने ही दिया है. ऐसे में इस फैंसले को आगे रख कोर्ट को ही धर्म का विरोधी बताने वाले लोगों को क्या कहना चाहिए यह मेरी समझ से बाहर है. खैर, सुप्रीमकोर्ट के फैंसले के बाद सोशल मीडिया पर अलग अलग ट्रेंड शुरू हुए. कल मेरे एक ट्रेंड पकड़ में आया जो #मीलॉर्ड लिखने से दिख रहा था. लोगों ने जानबूझ कर यह टैग इस्तेमाल किया और अधिकाधिक पटाखे बजाये. जानकारी के अनुसार सुप्रीमकोर्ट के बाहर जाकर भी रात को पटाखे बजाए गये. कुछ शहरों में बहुतेरी जगह पर रात 9:30 के बाद आतिशबाजी शुरू हुई क्योंकि माननीय पंजाब एवं हरयाणा उच्च न्यायालय ने इस समय के बाद पटाखे चलाने पर बैन लगा रखा था. यह सब इवेंट्स कहीं न कहीं सरकार द्वारा प्रायोजित हैं क्योंकि सरकार में शामिल सांसद, विधायकों ने ही सबसे पहले फैंसले को धर्म विरोधी बताया.

पर क्या फैंसला धर्म विरोधी है? वैदिक धर्म के अनुसार यह सृष्टि पञ्च तत्वों से बनी है. वायु, जल, पृथ्वी, आकाश एवं अग्नि. हिन्दू धर्म इन पञ्च तत्वों की पूजा एवं आराधना के आस पास घूमता है. कहा जाता है कि मृत्यू के बाद शरीर इस पंचतत्व में ही विलीन हो जाता है. यही कारण है कि हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु के बाद मृत शरीर को अग्नि दी जाती है. पटाखे इन पञ्च तत्वों में से कम से कम 4 तत्वों को गम्भीर रूप से नुक्सान करते हैं. हिन्दू धर्म की अग्नि पूजन विधि, वैदिक हवन विधि यह सब पञ्च तत्व की शुद्धि के लिए ही होते हैं. ऐसे में पञ्च तत्व को प्रदूषित करने वाला कुछ भी हो सकता है पर सच्चा हिन्दू नहीं. रामायण की किन्द्व्नती के अनुसार श्रीराम के आने के बाद अयोध्या में घी के दिए जलाए गये थे. ऐसे में प्रमुख मान्यता घी के दिए जलाने की है जिसे बाद में मोमबत्ती और इलेक्ट्रिकल लाइट्स से सपोर्ट कर दिया गया. पर क्या पटाखे पुरातन हिन्दू धर्म का हिस्सा थे? व्यापारीकरण के बढने के साथ इस त्यौहार पर पटाखों की बिक्री शुरू हुई. पटाखे बनने ही कुछ डेढ़ सौ वर्ष पहले प्रारम्भ हुए हैं तो यह हिन्दू धर्म का हिस्सा कैसे हुए? यह केवल व्यापारीकरण के दौर में शुरू की गयी नई प्रथा है जिसे हम पर्यावरण के लिए सहज ही छोड़ सकते हैं. मैं इस बात के पूर्ण समर्थन में हूँ कि पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध हो और इन्हें किसी भी स्तर पर बजाने की आज्ञा न दी जाये. परम्परा अथवा प्रथा के नाम पर नववर्ष, गुरुपर्ब, दिवाली और यहाँ तक कि होली पर भी इन्हें चलाना केवल गलत ही कहा जायेगा. शादी ब्याह में भी इनके इस्तेमाल को मैं गलत मानता हूँ; यही कारण है कि स्वयम की शादी में भी मैंने इनका इस्तेमाल नहीं होने दिया था. सेहत के लिए बेहद हानिकारिक ये पटाखे कहीं भी कोई फायदा नहीं करते; ऐसे में इन्हें छोड़ना ही श्रेयस्कर है.

क्या मैं मुस्लिम समर्थक हूँ? कुछ बेहुदे व्यक्ति मेरे पटाखों के विरोध को मेरे कथित मुस्लिम धर्म समर्थन से जोड़ रहे हैं. इन्हें बेहूदा ही कहना सही है क्योंकि न उनकी भाषा ही संस्कारवान है और न ही उनके स्वयम के संस्कार ही यहाँ झलक रहे हैं. कुछ का कहना है कि मैं बकरे काटने का समर्थक हूँ. श्रीमान जी मैं जीव हत्या के इतना खिलाफ हूँ कि मैं खाने में भी पूर्णतया शाकाहारी हूँ. रही बात ईद पर बकरे कटने की तो इसका पहले भी विरोध किया था, आज भी करता हूँ और कल भी विरोध में ही मिलूंगा. मैं कोई धर्मनिरपेक्ष नहीं जो एक धर्म का समर्थन कर दूसरे का विरोध करूं. मेरे लिए सब धर्म एक समान हैं और गंदगी का घर हैं. इन्हें समाप्त कर देना ही मानवता के हित में है. फिर भले ही मुस्लिम धर्म के नाम पर चल रहा मानवीय आतंकवाद हो अथवा हिन्दू धर्म के नाम पर चल रहा गौ आतंकवाद, पटाखा आतंकवाद हो. यह उन कथित हिन्दू धर्म के हिमायतियों को ही सोचना चाहिए कि वे हिन्दू धर्म के कितना समर्थन में हैं? पंचतत्व में गंदगी फैला कर किस मूंह से आप पंचतत्व शुद्धि का नाटक करेंगे. चलिए, मैं तो चाहूँगा कि आपके घर में कोई दमा का मरीज न हो. समूचे विश्व में सबसे अधिक दमे के मरीजों को अपने अंदर समाहित किये भारतवर्ष में इतने खतरनाक प्रदूषण से आप केवल स्वयम का ही नुकसान नहीं कर रहे अपितु उन लाखों बच्चों और बूढों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं जो दमे के मरीज हैं अथवा श्वास की किसी भी बीमारी से पीड़ित हैं.

अपने धर्म की मान्यताओं को प्रदूषित कर धर्म की रक्षा आपको मुबारक भाई. आपके अलावा सभी मित्रों को दीपावली की मुबारकबाद. इस कथित हिन्दू धर्म के समर्थन में प्रोपोगेन्डा फैलाने वाले संघ को तो बिलकुल भी कोई मुबारकबाद नहीं.आप देश विरोधी हैं यह पहले भी पता था पर कल यकीन हो गया वह भी सबूत के साथ. आपने देश को केवल सीमा माना है और देश के नागरिक, देश की वायु, देश के जल को शायद अभी भी पाकिस्तानी मानते हैं.

बाबा गुरमीत राम रहीम गिरफ्तारी; कुछ सवाल

आम तौर पर चुप्पी साधे रहने वाला लो प्रोफाइल लेकिन साफ़ सुथरा शहर पंचकुला आज कल गलत कारणों से चर्चा में है. दरअसल डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम इंसा की पंचकुला सीबीआई कोर्ट में पेशी 25 अगस्त के लिए निर्धारित थी. पन्द्रह वर्ष पुराने साध्वी यौन शोषण मामले में बहस पूरी होने के बाद यहाँ मामले का फैंसला सुनाया जाना था. यही वह कारण था कि पंचकुला एक दम से राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में आ गया. 25 अगस्त को डेरा मुखी की पेशी के बाद उन्हें सजा सुना दी गयी और उस सजा के बाद पंचकुला में जो तांडव हुआ वह समस्त राष्ट्र ने देखा है. 76 गाड़ियाँ जला दी गयी, 35 से अधिक डेरा समर्थक हिंसा के बाद सुरक्षा बलों की गोली के शिकार हुए. डेरा हेडक्वार्टर सिरसा कमोबेश थोडा अधिक शांत लेकिन पूरी तरह तनावपूर्ण रहा. वहां भी कुछ लोग गोलियों के शिकार बने. आइये इस घटनाक्रम के इतिहास को जानते हैं और बाद में लिए जाने लायक सबक देखते हैं.

25 अगस्त 2017 को होने वाली पेशी के दौरान माननीय सीबीआई अदालत ने डेरा मुखी को निजी तौर पर पेश होने का आदेश दिया. कानूनन रूप से आरोपी को सजा अथवा बरी करने का कार्य अदालत आरोपी के सामने ही करती है ताकि वह ऊपरी अदालत में जाकर यह न कह सके कि उसे सजा देने से पहले सुनवाई का अधिकार नहीं मिला. कानून में ऐसे प्रावधान भी किये गये हैं. ऐसे में उन्हें पेश होने के लिए कहना प्राकृतिक न्याय के अनुरूप था. यहीं से पंचकुला सुर्ख़ियों में आया. एक एक कर यहाँ डेरा समर्थक जमा होने शुरू हो गये. स्थिति और भी गंभीर हो गयी जब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बाकायदा प्रैस कोंफ्रेंस कर मीडिया को जानकारी दी कि 25 तारिख को डेरा मुखी कोर्ट में पेश होंगे. ऐसे में मीडिया के माध्यम से भी समर्थकों तक आधिकारिक मैसेज पंहुच गया कि डेरा मुखी पंचकुला में आयेंगे. हालाँकि बाद में डेरे के द्वारा मुख्यमंत्री के ब्यान का खंडन किया गया और यह कहा कि डेरे की तरफ से ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया गया है एवं वे कानून का सम्मान करते हैं. पंचकुला में एहतियातन धारा 144 लगा दी गयी. लेकिन बावजूद उसके खेल बिगड़ना शुरू हो गया. चारों तरफ पुलिस के पहरे के बावजूद लगभग 2500 समर्थक एक दिन पंचकुला जिला न्यायालय के कोम्प्लेक्स में प्रवेश कर गये. यह बड़ी चूक थी. इसके बाद पहरा और कडा कर दिया गया और अदालत के वकीलों को भी कड़ी तलाशी अभियान से गुजारा जाने लगा और उनकी गाड़ियों की पार्किंग तक बदल दी गयी. इस बात को लेकर वकीलों के अंदर नाराजगी आई और बात कहासुनी तक भी पंहुच गयी. बढती टेंशन के माहौल में जिला बार एसोसिएशन पंचकुला ने अपना कार्य 23 अगस्त से 25 अगस्त तक सुरक्षा के लिहाज से सस्पेंड करने का फैंसला कर लिया. यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण था. एक आरोपी की पेशी के कारण ही यदि न्यायालय के अंदर कार्य बंद हो जायेगा तो स्वतंत्रता को खतरा होना लाजमी है. इस बीच डेरा समर्थक ;लगातार जीरकपुर के रास्ते से पंचकुला में प्रवेश करते गये और मीडिया के आकलन के अनुसार 18 अगस्त से 22 अगस्त के बीच लगभग डेढ़ लाख लोग आ गये. धारा 144 के बावजूद भी इतने लोगों का पंचकुला में इकट्ठा होना खतरनाक था. ज्ञातव्य है कि पंचकुला छोटा शहर है और यहाँ की कुल जनसख्या लगभग 3.5 लाख ही है. बाहर से आने वाले लोग पंचकुला के हर पार्क में फ़ैल गये. सरकार और निगम के द्वारा अलग से इंतजाम करने की जगह पब्लिक टॉयलेट तक बंद कर दिए गये. ऐसे में यहाँ बारिश के दिनों में हालात और खराब हो गये. 21 तारीख आते आते लोग सेक्टर 21, 23, 24 में घरों के आगे बैठना शुरू हो गये. पंचकुला के बहुत से लोगों की हालत एक तरह बंधक जैसी हो गयी. यह सब शर्मनाक था और एक बड़ी विपदा को जन्म देने के लिए काफी था. ऐसे में मैंने माननीय हाईकोर्ट में जनहित याचिका के द्वारा जाने का फैंसला लिया. सरकार पंचकुला के लोगों को डेरा समर्थकों की दया का पात्र बना कर नहीं छोड़ सकती थी. मामला 23 अगस्त सुबह फ़ाइल कर दिया गया. किसी विपरीत स्थिति के बावजूद भी मामला हर हाल में सुनवाई के लिए कोर्ट में आये इसके लिए दोपहर दो बजे मैंने अपने कुछ वकील साथियों के साथ जा माननीय न्यायमूर्ति अजय कुमार मित्तल की खंडपीठ के आगे गुजारिश की कि इसे 23 को ही सुनवाई के लिए रख लिया जाये लेकिन न्यायालय ने मेरी रिक्वेस्ट में देरी के चलते इसे 24 अगस्त के लिए रख दिया. 23 अगस्त को एक और दुर्भाग्यपूर्ण खबर आई. उच्च न्यायालय की बार एसोसिएशन माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से मिलने गयी और रिक्वेस्ट की कि पंचकुला से आने वाले 800-1000 वकीलों को जान का खतरा है और यदि वे कोर्ट में पेश न हो पायें तो उनके मामलों में कोई नकारात्मक ऑर्डर न दिए जाये. इस गुजारिश को माननीय जस्टिस सारों ने मान लिया.

24 अगस्त से 26 अगस्त 2017 के बीच की एतिहासिक कार्यवाही:

मामला लगभग 10:30 पर माननीय जस्टिस सारों और जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ के आगे सुनवाई के लिए आया. यह हैरानी की बात थी कि मामले की संजीदगी को देख माननीय न्यायालय ने हरयाणा और पंजाब के महाधिवक्ता को एवं केंद्र से अतिरिक्त सोलिसिटर जरनल श्री सत्यपाल जैन को पहले से ही कोर्ट में आने के लिए कह दिया था. सुबह की सुनवाई में माननीय कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि यदि फरवरी 2016 वाला घटनाक्रम दोबारा हुआ तो कोर्ट हरयाणा के DGP को बर्खास्त करने से भी नहीं हिचकेगी. केंद्र से कहा गया कि कोर्ट को नहीं लगता कि हरयाणा की तैयारी ठीक है और वह सम्भालने में सक्षम है; क़ानून व्यवस्था बनाये रखना केंद्र का भी दायित्व है. केंद्र यह बताये कि सुरक्षा के लिहाज से केंद्र ने हरयाणा एवं पंजाब को क्या सहायता दी और कितनी और देने में सक्षम है. मामले को दोपहर बाद 2 बजे के लिए रख लिया गया. हरियाणा से पूछा गया कि धारा 144 के बावजूद इतने लोगों का पंचकुला में होना हैरान करने वाला है; सरकार इसका आदेश पेश करे. दोपहर बाद जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया तो मंजर बेहद हैरान करने वाला था. धारा 144 के ऑर्डर में कभी भी 5 अथवा 5 से अधिक लोगों का पंचकुला में आना मना ही नहीं किया गया था. ऐसे में जवाबदेही तो बनती ही थी. हरयाणा के ADGP श्री चावला कोर्ट में स्वयं पेश हुए और उन्होंने कहा कि उन्होंने पुख्ता जानकारी जुटाई है कि डेरे के द्वारा अपने समर्थकों को पंचकुला आने के लिए कहा गया है. उनके द्वारा यह भी कहा गया कि वे पंचकुला में लोगों का आना रोकने में अक्षम हैं. ऐसा लगता था कि पंचकुला को दया पर छोड़ दिया गया था. केंद्र ने कहा कि पंजाब को 75 एवं हरयाणा को केवल 56 कम्पनियां उपलब्ध कराई गयी हैं. यह संख्या बेहद कम थी. चूंकि एक कम्पनी में केवल 130 जवान होते हैं और एक जवान की एक दिन में केवल 8 घंटे की ही ड्यूटी रहती है ऐसे में क़ानून व्यवस्था का क्या हाल हो सकता था यह सोचने में भी डर लगता है. इसके बाद मामले को तीसरी बार सुनवाई के लिए शाम 3:30 पर रख लिया गया. तीसरी सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत भी पीठ का हिस्सा बन गये. पूर्ण पीठ के आदेश के बाद हरयाणा को 49 अतिरिक्त कम्पनी और पंजाब को 9 अतिरिक्त कम्पनियां मुहैया करवाई गयी. साथ ही सरकार को सुनिषित करने के लिए कहा गया कि डेरा समर्थकों को घर वापस जाने के लिए कह दिया जाये और डेरे को आदेश दिए गये कि डेरा मुखी अपने समर्थकों से वापस जाने के लिए अपील करें. एतिहासिक रूप से कोर्ट ने आदेश दिए कि कोई भी व्यक्ति, धार्मिक नेता, राजनेता आदि भडकाऊ बयानबाजी नहीं करेगा.

24 अगस्त की रात:

24 अगस्त की रात सरकार के द्वारा समर्थकों को बाहर निकालने की कथित कोशिश की गई लेकिन वह कोशिश माजरी चौक पुल के नीचे तक ही सीमित रह गयी. लेकिन एक अच्छा कार्य हुआ. कोर्ट के आदेश के बाद इन समर्थकों को लगभग सैक्टर 5 पंचकुला तक सीमित कर दिया गया. इसके अतिरिक्त कुछ लोग किसी किसी बिल्डिंग में रह गये. ज्ञातव्य है कि कोर्ट की सुनवाई में बहुत से वकील साथियों ने आप बीती भी सुनाई थी; उनके अनुसार कुछ लोगों ने घरों में भी घुसने की कोशिश की थी. देर रात मुख्यमंत्री सचिवालय के एक वरिष्ट अधिकारी ने आकर इस ओपरेशन को भी रोक दिया. ऐसे में सभी लोग पंचकुला में ही रह गये.

25 अगस्त का दिन और उसके बाद :

25 अगस्त को सुबह 11 बजे सुनवाई हुई. माननीय कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि सरकार डेरे के साथ मिली हुई है. मैंने कहा कि लगभग 800 गाड़ियों का काफिला सिरसा से चला है और यह काफिला स्वयं खतरा हो सकता है. जब कोर्ट ने पूछा तो महाधिवक्ता ने कहा कि उन्हें बताई गयी जानकारी के अनुसार कुल 7 गाड़ियाँ आ रही हैं. कौन सही था यह आप सबने देखा होगा. इसके अलावा सरकार ने कहा कि सैक्टर 5 में कुछ लोग रह गये हैं और बाकियों को कोर्ट के आदेश के बाद निकाल दिया गया है. कोर्ट ने आदेश दिया कि सुरक्षा बनाये रखने के लिए सैनिक कोई भी कार्यवाही करने से न चूकें और किसी आदेश का इंतज़ार न करें.  मामले को दोपहर बाद 4 बजे के लिए रख लिया गया. इस बीच सीबीआई कोर्ट ने डेरा मुखी को सजा सुना दी और उसके बाद डेरा समर्थकों के द्वारा व्यापक हिंसा फैलाई गयी. कोर्ट के आदेश के अनुसार फ़ोर्स ने अपना काम किया और आर्मी स्टैंड बाई रही. पंचकुला में कथित तौर पर कर्फ्यू लगा दिया गया. सिरसा और पंजाब के कई शहरों में भी यकायक हिंसा हुई. कोर्ट ने डेरे के वकील को आदेश दिया कि रिकवरी के लिए तैयार रहें और डेरा अपनी सम्पत्ति को ट्रांसफर न करे. नुक्सान के जायजे के लिए एवं अन्य कार्यों के लिए कोर्ट को 26 अगस्त छुट्टी के दिन के लिए स्थगित कर दिया गया. छुट्टी वाले दिन कोर्ट फिर से बैठी जहाँ जानकारी दी गयी कि 28 लोग पंचकुला में मृत्यू को प्राप्त हुए हैं और बहुत से घायल हैं. पंजाब में कोई मृत्यू नहीं हुई. पंचकुला के DCP को सस्पेंड कर दिया गया है. माननीय कोर्ट ने इसपर हैरानी जताई कि इतने निचले स्तर के अधिकारी को सस्पेंड करना यह साबित करता है कि सरकार कहीं न कहीं डेरे के साथ मिलीं हुई थी और पंचकुला में जानबूझ कर लोगों को आने दिया गया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह मामले की तह तक जाएगी और इस मामले में किसी को नहीं बक्शा जायेगा. 29 अगस्त को सुनवाई के दौरान माननीय कोर्ट ने इस बात पर एतराज जताया कि सरकार यह कह रही है कि पंचकुला में लोगों को इकट्ठा होने देना प्लान का हिस्सा था. कोर्ट ने कहा कि यदि यह प्लान था तो धारा 144 का गलत ऑर्डर पास करने के लिए DCP को सस्पेंड ही क्यों किया गया. सरकार ने बार बार कोर्ट को अँधेरे में रखा. कहा गया सब कुछ कंट्रोल में है; बावजूद इसके इतनी व्यापक स्तर पर हिंसा हुई.

इस मामले में अब आगे सुनवाई 27 सितम्बर को होगी लेकिन सबक तो हम ले ही सकते हैं. राजनीति से धर्म को पूर्णतया अलग करना समय की जरूरत है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है एवं सरकारें धर्म से स्वयं को दूर रखें.माननीय कोर्ट की सक्रियता एतिहासिक थी और इससे जनता का न्यायपालिका पर विश्वास बहुत बढ़ा है. मेरे कुछ प्रश्न हैं यदि कोई सरकार उत्तर दे पाए तो:

  1. धारा 144 का गलत ऑर्डर क्यों पास किया गया और यदि यह सही था तो कोर्ट में इसे टाइपिंग एरर क्यों बताया गया?
  2. बिना जांच के मुख्यमंत्री ने डेरा प्रेमियों को निर्दोष क्यों बताया और मुख्यमंत्री ने मीडिया के सामने पहले यह क्यों कहा कि उन्होंने डेरा मुखी से स्वयं बात की है. यदि मुख्यमंत्री दोषियों को जानते थे तो उन्होंने पहले उन्हें पंचकुला में क्यों नहीं पकड़ा?
  3. कथित प्लानिंग में पंचकुला को जलने के लिए क्यों छोड़ दिया गया. यदि कोर्ट के आदेश पर सेक्टर खाली न करवाए जाते तो?
  4. नाम चर्चा घर सेक्टर 23 में लगातार भंडारा चल रहा था; इन्हें सिलिंडर की आपूर्ति कहाँ से हो रही थी और रसद कहाँ से दी जा रही थी? शिक्षा मंत्री की मानें तो क्या यह सरकार कर रही थी?
  5. डेरा मुखी के साथ उनकी मूंह बोली बेटी हनिप्रीत हेलिकोप्टर में रोहतक क्यों गयी? DGP कहते हैं आदेश कोर्ट से आया और कोर्ट ऐसा आदेश देने से ही मना कर रही है.
  6. कर्फ्यू के बावजूद सिरसा से 350 गाड़ियाँ (सरकार के अनुसार) कैसे निकली और उनकी जांच क्यों नहीं हुई? पंचकुला में धारा 144 होने के बावजूद भी 173 गाड़ियाँ क्यों पंहुची और उन्हें आने का आदेश किसने दिया?
  7. केंद्र ने इतनी कम सुरक्षा क्यों मुहैया करवाई? क्या सच में ही केंद्र हरयाणा या पंजाब को कुछ नहीं मानता?
  8. उस अधिकारी के विरुद्ध क्या कार्यवाही होगी जिसने रात को पुलिस का ओपरेशन रुकवाया?
  9. यदि सरकार ने प्लानिंग की थी तो DCP को सस्पेंड क्यों किया गया?
  10. पुख्ता जानकारी होने के बावजूद भी सरकार पब्लिक में क्यों कहती रही कि पंचकुला में शांतिप्रिय लोग बैठे हैं. नाम चर्चा घरों को चैक क्यों नहीं किया गया?
  11. इतनी सुरक्षा के बावजूद भी पंचकुला में लोग हथियार लेकर कैसे आये?
  12. कोर्ट में बार बार झूठ बोलने की क्या वजह है?
  13. मुख्यमंत्री को हिंसा करने वालो के समर्थन में क्यों आना पड़ा?
  14. केवल तीन महीने पहले सरकार ने कोर्ट में रिपोर्ट सोंपी है कि डेरे में कोई आपत्तिजनक चीज नहीं है तो ये हथियार कहाँ से आये?
  15. अभी तक भी सरकार के मंत्रीगण डेरे को क्यों डिफेंड कर रहे हैं?
  16. रामविलास शर्मा जी के विरुद्ध कानूनी प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
  17. अभी तक सिरसा के प्रमुख डेरे में आर्मी को क्यों नहीं जाने दिया जा रहा और इतनी सुरक्षा के बावजूद भी लगभग 15 ट्रक बिना चैकिंग सिरसा डेरे को छोड़ राजस्थान कैसे पंहुचे हैं? डेरा मुखी का परिवार घेराव के बावजूद भी राजस्थान पंहुचने में कैसे सफल हुआ?
  18. पंचकुला के लोगों के जीवन को खतरे में डालने का सरकार के पास क्या अधिकार था?