2010 में जब भारत सरकार ने आद्र्भूमियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए नियम बनाए थे तो सबको आशा थी के जयराम रमेश के पर्यावरण मंत्री होने के नाते शायद सरकार कोई ठोस कदम उठाए, पर यह कानून भी अन्य कानूनों की तरह बिना धार की तलवार बना दिया गया. पूरे विरोध के बावजूद भी इसे 2011 में सरकार ने …
भारतीय भाषाओँ का विनाश और इंग्लिश
लार्ड मैकाले ने भारत में ब्रिटिश शिक्षा पद्दति को जब सख्ती से लागू किया था तो उसने ब्रिटिश सरकार को यह विश्वास दिलवाया था कि भारत में अंग्रेजी और अंग्रेजियत का प्रचार एवं प्रसार यदि किया गया तो भारत की संस्कृति धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी और भारत की आने वाली पीढियां एक ऐसे समय में पैदा होंगी जब वे सिर्फ …
क्रांति का अर्थ
क्रांति का अर्थ: क्रांति का आज कल हर जगह मजाक उड़ाया जा रहा है.कभी ये आन्दोलन तो कभी वो आन्दोलन, लगता है जैसे भारतवर्ष में आंदोलनों की बहार आ गयी है.पंद्रह अगस्त क्या आई रामदेव जी ने अगस्त क्रांति का ऐलान कर दिया. कुछ ही दिन बीते थे जब अन्ना हजारे जी एक क्रांति का नेतृत्व कर रहे थे….अब ज़रा …
भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं
भ्रष्ट देश के भ्रष्ट निवासी, हम सब एक हैं. एक देश है, हजारों भाषा, हजारों जाति और अनेक धर्म. उबलता है देश सारा, के भारत नहीं है हमारा. उबलते हैं सभी धर्म, के भारत नहीं है हमारा. एक धर्म है हमारा, जो रखे देश को एक, इस देश के भ्रष्ट लोग न पूछे कोई जाति, बस हाथ फैलाकर करते स्वागत, …
पास खडा था भ्रष्टाचार
सुबह उठ कर आँख खुली तो पास खडा था भ्रष्टाचार, अट्टहास लगाता हुआ, प्रश्न चिह्न लगाता हुआ. जब पूछा मैंने, तुझमें इतने प्राण कहाँ से आये, के तुम बिन पूछे, बिन बताए मेरे घर भी दौड़ आये. हंसता हुआ, वो बोला, तुम शायद अवगत नहीं, कल रात ही संसद में मुझे जीवनदान मिला है. देश शायद सो रहा था, …
धर्मनिरपेक्षता
रूचीनां वैचित्र्य अदृजुकुटिलनानापथजुषां. नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसमर्णाव इव. (शिव महिम्नः स्तोत्र, ७ ) अर्थात हे शिव, जिस प्रकार विभिन्न नदियाँ विभिन्न पर्वतों से निकलकर सरल तथा वक्र गति से प्रवाहित होती हुई अंततः समुद्र में ही मिल जाती है, उसी प्रकार अपनी विभिन्न प्रवृतियों के कारण जिन विभिन्न मार्गों को लोग ग्रहण करते हैं, सरल या वक्र रूप में विभिन्न लगने पर …
कानून की देवी तेरी जय जय कार
कानून की देवी तेरी जय जय कार, छाया जब हर जगह अन्धकार, राजा करता हो जनता पर अत्याचार, ले हाथ में तराजू, जब उठाया तुमने यह बीड़ा, हिल गयी सरकारें, पलट गए ताज. कहती सरकारें, सीमा में नहीं कानून अब, देवी करती सरकार पर अत्याचार, पर पूछती है कलम मेरी इन सरकारों से, क्यों छीना निवाला गरीब का, क्यों फैलाया …
सेठ के चार सेवक और “लोकपाल”
एक कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ, ये मुझे एक परम मित्र ने पिछले दिनों सुनाई थी. एक सेठ था जो हर रोज रात को एक किलोग्राम दूध पीता था. उसने अपने बुढापे के कारण एक सेवक रख लिया. उस सेवक का कार्य केवल रात को दूध गर्म करके सेठ को देना था. उस नौकर ने कुछ ही दिन में गड़बड़ …
सरकार और आम आदमी…
मैं खड़ा हूँ, मेरा अंतर्द्वंद मुझे जीने न दे रहा है, जब सारा भारत खड़ा है तो मैं क्यों सो रहा हूँ? ऐसा सोच आम आदमी एक दिन सारे भारत के साथ धरने पर बैठ गया, सुबह पत्रकारों ने आम आदमी को नेता घोषित किया, दोपहर आम आदमी को भारत का भविष्य घोषित किया, शाम आई और आम आदमी ने …