अविराम चलता यह जीवन

अविराम चलता यह जीवन इक नए मोड़ पर खड़ा है।पूछता है क्या किया जो मुझे कोसते हो कब मैंने तुम्हें हराया; कब तुम्हारा दिल दुखाया कब किस्मत के लेखे को; मैं बदल पाया! मैंने कहा ऐ जीवन; कोसता यूं नहीं मैं के मैंने ठोकर खाई है; कोसता यूं नहीं के मैं आज हारा हुआ हूँ; कोसता यूं हूँ के भाग्य …

TEXT OF FAMOUS STEVE JOBS SPEECH IN 2005

I am honored to be with you today at your commencement from one of the finest universities in the world. I never graduated from college. Truth be told, this is the closest I’ve ever gotten to a college graduation. Today I want to tell you three stories from my life. That’s it. No big deal. Just three stories. The first …

भारत की सीमाएं

एक बेहद सुन्दर ब्लॉग से मुझे आज चाणक्य सीरियल का चन्द्रगुप्त मौर्या द्वारा दिया गया वह भाषण मिला जो उन्होंने अपने राज्याभिषेक पर दिया था। इसे पढ़ें और आज की स्थिति के अनुसार इसके बारे में सोचें, मैं इसको लिखित रूप में प्रस्तुत करने के लिए इस ब्लॉग के लेखक का आभारी हूँ:- ब्लॉग का एड्रेस है:”http://kalchiron.blogspot.in“ अरट्ट के कुलमुख्यों …

अकबर-बीरबल/लोग एक जैसा भी सोचते हैं

बादशाह अकबर और उनके दरबारी एक प्रश्न पर विचार कर रहे थे जो राज-काज चलाने की दृष्टि से बेहद अहम न था। सभी एक-एक कर अपनी राय दे रहे थे। बादशाह दरबार में बैठे यह महसूस कर रहे थे कि सबकी राय अलग है। उन्हें आश्चर्य हुआ कि सभी एक जैसे क्यों नहीं सोचते ! तब अकबर ने बीरबल से …

ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल

दुष्यंत कुमार की पुस्तक “साए में धूप ” एक अपाहिज समाज की व्यथा है जो भारत के आजाद होने के बाद इसके नेताओं ने इसे बना दिया है। एक ग़ज़ल नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ कृपया ध्यान से पढ़ें और सोचें: ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगो कि जैसे जल में झलकता हुआ महल, लोगो -देखिये यहाँ पर …

“क्या जय महाराष्ट्र सही है”

यही कोई पंद्रह वर्ष पहले दूरदर्शन पर एक सीरियल आता था “चाणक्य” नाम से . देश प्रेम के वाक्यों से लबालब यह सीरियल सही मायने में एक महान रचना थी। उस सीरियल के एक एपिसोड में चाणक्य कहते हैं, “यवनों ने भिन्न-भिन्न जनपदों के आस्था के भेद को नहीं देखा था. आक्रान्ताओं ने सभी के साथ एक जैसा व्यवहार किया …

एक बेरोजगार

आज मानव सड़क पर चला जा रहा था। उसके मन में कई तरह की गुत्थियां चल रही थीं।नौकरी मिल नहीं रही थी, ऊपर से माँ उसकी चिंता में मरी जा रही थी। मानव के तीन भाइयों में वह ही ऐसा था जिसके पास नौकरी नहीं थी, इसलिए उसे घर में कोई बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी। पिता जी …

पश्चाताप

शहर में चारों और दंगे हो रहे थे और तबाही मची थी, तभी एक छोटी सी कुटिया के पास आकर भीड़ रुकी. मुस्लिम लोगों की भीड़ थी वह; उस भीड़ ने आवाज लगाईं, “जो कोई भी है बाहर निकले, अपना मजहब बताये वरना हम कुटिया को जला देंगे”. एक अधेड़ उम्र की बुढ़िया बाहर आई, एक प्रश्न चिह्न लगाते हुए …

आजादी की छुट्टी।

आजादी की छुट्टी पर एक छोटा बच्चा अपनी माँ से पूछ बैठा, “माँ, ये छुट्टी क्यों होती है” माँ परेशान रहती हुई कोई जवाब न दे पायी. इतने में बच्चे ने फिर से पूछा, “माँ जवाब क्यों नहीं देती?” माँ ने सोचा फिर जवाब दिया,”बेटा क्योंकि आज के दिन हमें गुलामी से आजादी मिली थी, इस से पहले हमारे लोग …

एक बेरोजगार

इस किनारे चलते हुए चुन्नी  लाल  ने  बहती नदिया के पार देखा. इस किनारे बड़े बंगले थे, बड़े बाजार थे, उन बाजारों में केवल कुछ हजार लोग थे। वे लोग ऐसे थे जो चलते थे, उड़ते थे, कभी कभी तो कर्म ऐसा करते थे, जिन कर्मों में कोई धर्म नहीं, जिन आदमियों में कोई सच्चा कर्म नहीं,पर उनका उड़ना कभी कम नहीं हुआ, उनका चलना कभी कम नहीं हुआ. …